वायुमण्डल संयोजन एवं संरचना पर अध्ययन
Keywords:
वायुमण्डल, संयोजनAbstract
पृथ्वी के चारों तरफ वायु के आवरण को वायुमण्डल कहते है। यह वायु का आवरण पृथ्वी के गुरूत्वाकर्षण बल की वजह से पृथ्वी के चारों ओर कम्बल के रूप में चचपका हुआ है तथा पृथ्वी का एक महत्वपूणष अंग है। पृथ्वी पर जीवन का अंश ऐसी वायुमंडल की वजह से सम्भव है। जीववत रहने हेतु वायु सभी जीवों के ललए महत्वपूणष है। वायुमण्डल का 99 प्रततशत भाग भू पृष्ठ से 32 ककलोमीटर की ऊचाई तक सीलमत है।
References
जैन, एस.एम.: भौगोललक चचन्तन का ववकास (सादहत्य भवन, आगरा)
कौलशक, एस.डी: भौगोललक ववचाराधारा एवं ववचध तंत्र (रस्तोगी प्रकाशन, मेरठ)
माथुर एव जोशीः भौगोललक ववचाराधाराओं का इततहास (आर.बी.एस. पजब्लशसष, जयपुर)
लसंह, जे.मौगोललक चचन्तन के मूल आधार (वसुन्धरा प्रकाशन, नई दिल् ली)
बंसल एस.सी, भौगोललक चचन्तन ववचध तंत्र
एबलर, रोनाल एफ. एट अल, ज्योग्राफीज़ इनर वल्डषस: परवेलसव थीम्स इन समकालीन अमेररकी भूगोल, रूटलेज, न्यू जसी, 1992।
अली, एस.एम., अरब भूगोलवेत्ता, इस्लामी अध्ययन संस्थान।
अली, एस.एम., ि जजयोग्राफी ऑफ पुराणस, पीपल्स पजब्ललशंग हाउस, नई दिल्ली।
िीक्षक्षत आर.डी., भौगोललक ववचार: ववचारों का एक प्रासंचगक इततहास, प्रेंदटस हॉल ऑफ इंडडया प्रा. लललमटेड 2000।
िीक्षक्षत आर.डी., भूगोल की कला और ववज्ञान: एकीकृत रीडडंग, प्रेंदटस हॉल ऑफ इंडडया, नई दिल्ली, 1994।
डोहसष, एफ.ई. और सोमरस, एल.डब्ल्यू. (सं.) इंट्रोडक्शन टू ज्योग्राफी, थॉमस
वाई क्राउल कं, न्यूयॉकष, 1967।
कफशर, ई। एट अल, ए क्वेश्चन ऑफ प्लेस: ि डेवलपमेंट ऑफ ज्योग्राकफक सोचा, आर.वी. बीट्टी लललमटेड, आललिंगटन, 1967।