प्रेमचंद की लघुकथाओं में सामाजिक-आर्थिक विषय
Keywords:
प्रेमचंद, लघुकथाएंAbstract
प्रेमचंद एक प्रख्यात हिंदी लेखक थे जो आधुनिक हिंदी साहित्य के बाप माने जाते हैं। उनकी लघुकथाओं में सामाजिक-आर्थिक विषयों को सार्थक ढंग से व्यक्त किया गया है। उनकी लघुकथा "दूर के ढोल सुहावने लगते हैं" एक सामाजिक विषय पर आधारित है, जो भ्रष्टाचार के विरुद्ध है। यह कहानी एक व्यक्ति की जिंदगी पर आधारित है जो भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ता है और अंत में सफल होता है। उनकी लघुकथा "एक रुपये की कमाई" आर्थिक विषयों पर आधारित है। यह कहानी एक गरीब आदमी के जीवन की कठिनाइयों के बारे में है जो एक रुपये के लिए लड़ता है और अंत में उसकी मेहनत सफल हो जाती है। उनकी लघुकथा "प्रेम" सामाजिक विषयों के अलावा रोमांस पर आधारित है। यह कहानी दो युवकों के प्यार के बारे में है जो उनकी जाति के कारण अपने प्रेम को नहीं स्वीकार सकते हैं।
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