महात्मा गाँधी जी के शिक्षा दर्शन का आज के परिवेश में प्रसंगिकता

Authors

  • पूजा रानी
  • डॉ. अनिल कुमार तेवतिया

Keywords:

व्यवहारिक रूप, शिक्षाशास्त्रियों, भारतीय शिक्षा प्रणाली, लार्ड मैकाले

Abstract

दार्शनिकों , विचारकों एवं प्रसिद्ध शिक्षाशास्त्रियों ने समय-समय पर समाज व शिक्षा को समुन्नत बनाने और इसमें सुधार करने हेतु अनेक परामर्श दिए व सिद्धान्त निश्चित किए, किन्तु इस समस्त सिद्धान्तों को व्यवहारिक रूप में परिवर्तित करने हेतु आज तक कोई ठोस प्रयत्न नहीं किये गये और यही तथ्य वर्तमान भारतीय शिक्षा प्रणाली के दोषपूर्ण होने का सबसे बडा कारण है। कोरे सिद्धान्तों से ही काम नहीं चल सकता। किसी भी समाज, व्यक्ति अथवा शिक्षा प्रणाली की उन्नति तभी सम्भव होती है, जब सिद्धान्त को व्यवहार में उतारा जाये। महान विचारकों, दार्शनिकों के शिक्षा सम्बन्धी सिद्धान्तों अथवा विचाराकों को व्यवहार रूप में न उतारने के कारण ही वर्तमान भारतीय शिक्षा प्रणाली में छात्र-असंतोष, अनुशासनहीनता, बेराजगारी शिक्षा में व्यवसायिकता का अभाव, तकनीकी शिक्षा का अभाव, छात्र-राजनीति आदि अनेक समस्याएं घर कर गई है। लार्ड मैकाले द्वारा निर्मित भारत की वर्तमान शिक्षा प्रणाली के दोषपूर्ण होने का प्रमुख कारण यह भी रहा है कि इस प्रणाली का मुख्य उद्देश्य अ्रग्रेजी शासन को चलाने के लिये अंग्रेजी पढे लिखे क्लर्क पैदा करना और भारतीयों को ईसाई मजहब के साॅंचे में ढालना था। तब से आज तक शिक्षा का वही उद्देश्य चला आ रहा है। इस शिक्षा प्रणाली में भारतीय आदर्शो के लिये लेशमात्र भी स्थान नहीं है। यह स्थिति देष के लिसे घातक है।

References

http://hindivichar2.blogspot.in/2012/02/blog-post_4929.html

गांधी की बुनियादी शिक्षा योजना - -by प्रो अनिरुद्ध प्रसाद

आज भी प्रासंगिक प्रासंगिक है गांधी का शिक्षा दर्शन -by Vrijesh Singh

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Published

2017-09-30

How to Cite

रानी प., & डॉ. अनिल कुमार तेवतिया. (2017). महात्मा गाँधी जी के शिक्षा दर्शन का आज के परिवेश में प्रसंगिकता. Universal Research Reports, 4(3), 14–18. Retrieved from https://urr.shodhsagar.com/index.php/j/article/view/110

Issue

Section

Original Research Article