महाभोज उपन्यास में राजनीतिक एवं सामजिक विकृति का अध्ययन
Keywords:
राजनीतिक, नौकरशाही, साहित्य, सामजिकAbstract
महाभोज का कथानक सरोहा नामक गाँव और उसके निवासी बिसेसर की आकस्मिक मौत की घटना के इर्द-गिर्द रचा गया है। गाँव में एक महीना पहले कुछ हरिजनों को ज़िदा जला दिया गया था। आगजनी की घटना का प्रभाव अभी ठंडा नहीं हुआ था और ऐसे में बिसू की इस तरह संदिग्ध मौत ने राजनीतिक गलियारों में उधल-पुथल मचा दी। इस स्थिति से विभिन्न चेहरों ने किस तरह लाभ उठाने की कोशिश की, हमारे समाज में राजनीति नौकरशाही और मीडिया से मिलकर किसी भी घटना को अपनी सहलियत के अनुसार रंग देकर पेश करती है तथा किस तरह संवेदनशील मामलों को भी निजी स्वार्थ के लिए इस्तेमाल करती है, यही इस उपन्यास की मुख्य कथावस्तु है।
References
महाभोज - मनन्नू भण्डारी
महाभोज, मनन्नू भण्डारी
मननू भण्डारी का उपन्यास साहित्य - श्रीमती नंदिनी मिश्र
महिला उपन्यासकारो की रचनाओं में वैचारिकता, डॉ- शशि जैकब
अंमगवती प्रसाद शुक्त्र: आंचलिकता से आधुनिकता बोध प्रथम संस्करण 1972 पृष्ठ: 130
तटस्थ - अक्तूबर 1972, प्रष्ठ 22
प्रहलाद अग्रवाल: हिन्दी कहानी - सांतवा द शक प्रथम संस्करण 1973, पृष्ठ: 08
रामविनोद सिह: आठवें द शक के हिन्दी उपन्यास पृष्ठ165
मनन्नू भण्डारी: संपूर्ण कहानियों -महामोज - पृष्ठ. 443-444
मनन्नू भण्डारी: संपूर्ण कहानियों -महामोज प्रष्ठ 454