प्राचीन काल में भारत में महिलाओं की स्थिति

Authors

  • ममता शोधार्थी, इतिहास विभाग, बाबा मस्तनाथ विश्वविद्यालय, अस्थल बोहर, रोहतक
  • डा॰ अंजना राव एसोसिएट प्रोफेसर, इतिहास विभाग, बाबा मस्तनाथ विश्वविद्यालय, अस्थल बोहर, रोहतक

Keywords:

भारत में महिलाओं की स्थिति

Abstract

किसी समाज को जानने के लिए, उस समाज में महिलाओं स्थिति जानना बहुत आवश्यक है क्योंकि एक स्वस्थ्य समाज के निर्माण में उन्होंने महत्वपूर्ण भूमिका का निर्वाह किया है। समाज व देश के आदर्शों और उच्चतम मूल्यों का संरक्षण भी उन्होंने अत्यन्त सफलतापूर्वक किया है। साथ ही उनके उदार दृष्टिकोण के कारण सामाजिक परम्पराएं एवं मान्यताएं जीवित है। स्त्री समाज की आधारशिला है। पुरूष के व्यक्तित्व का अंकुरण माता के अंक में ही होता है। वही उसकी पहली शिक्षिका है। माता के जिन विशेषताओं से प्रभावित होता है वही कालान्तर में वही उसके चरित्र का अंग बन जाती है। यदि माता पुरूष के चरित्र कीं भूमि है तो पत्नी उसके विकास की प्रसार-स्तम्भ। पत्नी के रूप में स्त्री-पुरुष के हर सुख-दुख में साथ चलती हुई उसके हर काम में सहभागिनी बन जाती है। उसकी सामाजिक स्थिति में सम्पूर्ण समाज प्रभावित होता है। स्त्री की उन्नति से ही समाज की उन्नति होती है वह समाज के उन्नति का मापदण्ड है।

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Published

2024-03-30

How to Cite

ममता, & डा॰ अंजना राव. (2024). प्राचीन काल में भारत में महिलाओं की स्थिति . Universal Research Reports, 11(1), 176–182. Retrieved from https://urr.shodhsagar.com/index.php/j/article/view/1247

Issue

Section

Original Research Article