लोककथा परिभाषा एवं उत्पत्ति
Keywords:
लोककथा, परिभाषा, अतीत-वर्तमान, आचार-विचारAbstract
यह तो नि: संकोच कहा जा सकता है कि आधुनिक युग की अपेक्षाकृत विकसित साहित्य की धारा की परम्परागत गंगोत्री लोकसाहित्य में ही है। यह मौखिक साहित्य, विविध संस्कृतियों का दर्पण है। इसमें परम्पतागत विश्वास, आचार-विचार, प्रथाएँ, जीवन के हपष-विषाद, अतीत-वर्तमान सभी कुछ सुरक्षित हैं। इस लोकसाहित्य में लोककथा का स्थान तो और अधिक महत्वपूर्ण है। व्यापकता और प्रचुरता की दृष्टि से इसका मूल्य निःसंदेह अवर्णनीय है। भारत तो लोककथाओं का अनन्त सागर है। सर्वप्रथम संसार के प्राय: सभी सभ्य देशों के कथा-साहित्य पर प्रचररूपेण पड़ा है। इन कथाओं के यूरोपीय देशों में प्रचार की कहानी बड़ी लम्बी है। सर्वप्रथम इन कहानियों का अनुवाद अरबी और पहलवी भाषाओं में हुआ और इसके पश्चात् यूरोप की विभिन्न भाषाओं में इनके अनुवाद प्रस्तुत किए गए । यूरोप में प्रचलित 'इसाप्स फंबुल्स' (ईसप की कहानियों) में भारतीय प्रभाव स्पष्ट दुष्टिगोचर होता है।
References
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