बालकों में भाषिक विकास
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https://doi.org/10.36676/urr.v11.i5.1510Keywords:
भाषिक विकासAbstract
‘बाल्यावस्था जीवन की आधारभूत अवस्था है।’ जीवन के शुरू के वर्षों मे अभिवृत्तियों, आदतों और व्यवहार के प्रकार पक्के हो जाते हैं। बालरूप की शक्ति यही है जिसका अनभ्व हम काव्य, संगीत, चित्रा एवं मूर्ति मं करते हैं। भारतीय दृष्टि बाल-सौंदर्य की अनुभूति में रूप की पूर्णता उसकी शक्ति का सा्रेत एवं स्वरूप है वह रूप, जिसकी पूर्णता मे प्रत्येक अंग अपने प्रभाव के साथ, सगंत में संवादी स्वर की भांति, अंगी में समरस हो जाता है सतंलुन, सामंजस्य आदि रूप संपदा इतनी पूर्ण कि कुछ भी चाहने को शेष नहीं रूप एवं रूपित, बाह्य और आभ्यंतर, शरीर एवं आत्मा का ऐसा आश्चर्यजनक अभेद जिसमे सार के सारे भेद गल गए हैं,
References
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