महात्मा गांधी का सामाजिक चिंतन : सत्य, अहिंसा और ग्रामस्वराज का दर्शन
Keywords:
महात्मा गांधी, सामाजिक चिंतन, सत्य, अहिंसा, ग्रामस्वराज, विकेन्द्रीकरणAbstract
महात्मा गांधी का सामाजिक चिंतन भारतीय समाज, संस्कृति और राजनीति में गहन परिवर्तन का मार्ग प्रशस्त करने वाला दार्शनिक और व्यावहारिक दृष्टिकोण है, जिसका मूल आधार सत्य, अहिंसा और ग्रामस्वराज जैसे सिद्धांतों पर टिका हुआ है। गांधीजी ने सत्य को जीवन का सर्वोच्च मूल्य माना, जिसे न केवल व्यक्तिगत आचरण में, बल्कि सामाजिक, राजनीतिक और आर्थिक व्यवस्थाओं में भी अपनाने पर बल दिया। अहिंसा को उन्होंने केवल हिंसा का अभाव नहीं, बल्कि सक्रिय प्रेम, सहिष्णुता और करुणा के रूप में परिभाषित किया, जो मानव संबंधों को सौहार्दपूर्ण बनाने का सशक्त साधन है।
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