त्रिक्‌ दर्शन मे स्पन्द का स्वरूप

Authors

  • अखिलेश खण्डुड़ शोधच्छात्र, अद्वैत वेदान्त विभाग, दर्शन संकाय श्री लाल बहादुर शास्त्री राष्ट्रिय संस्कृत विद्यापीठ, नई दिल्ली

Keywords:

सम्पूर्ण, आस्किता, बीजांकुर, महाशक्ति

Abstract

द्वैत, द्वैत, हैताहैत, विशिष्टाहैत आस्किता, नास्तिकता आदि सभी सिद्धान्तों का बीजरूप संहिताओं से प्राप्त होता है । सम्पूर्ण विश्व की व्यवस्था को देखते हुए व्यक्ति किसी परम शक्ति के विषय में  सोचने पर विवश हो जाता है । ग्रह नक्षत्र आदि का सुव्यवस्थित तरिके से भ्रमण, बीजांकुर आदि की उत्पत्ति ये सभी क्रियाएं किसी महाशक्ति की ओर संकेत करती है । इन वैदिक सिद्धान्तों को ही आगे बढ़ाते हुए भारतीय चिन्तकों ने अपनी विचारधाराओं से चिन्तन किया है |

References

शिवसूत्रमु, क्षेमराजकृतव्याख्यालोकेन

तन्त्रसार, अभिनवगुप्तपाद स्पन्दकारिका

भट्टकल्लवृत्तिसहिता

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Published

2017-09-30

How to Cite

अखिलेश खण्डुड़. (2017). त्रिक्‌ दर्शन मे स्पन्द का स्वरूप . Universal Research Reports, 4(5), 1–8. Retrieved from https://urr.shodhsagar.com/index.php/j/article/view/164

Issue

Section

Original Research Article