त्रिक् दर्शन मे स्पन्द का स्वरूप
Keywords:
सम्पूर्ण, आस्किता, बीजांकुर, महाशक्तिAbstract
द्वैत, द्वैत, हैताहैत, विशिष्टाहैत आस्किता, नास्तिकता आदि सभी सिद्धान्तों का बीजरूप संहिताओं से प्राप्त होता है । सम्पूर्ण विश्व की व्यवस्था को देखते हुए व्यक्ति किसी परम शक्ति के विषय में सोचने पर विवश हो जाता है । ग्रह नक्षत्र आदि का सुव्यवस्थित तरिके से भ्रमण, बीजांकुर आदि की उत्पत्ति ये सभी क्रियाएं किसी महाशक्ति की ओर संकेत करती है । इन वैदिक सिद्धान्तों को ही आगे बढ़ाते हुए भारतीय चिन्तकों ने अपनी विचारधाराओं से चिन्तन किया है |
References
शिवसूत्रमु, क्षेमराजकृतव्याख्यालोकेन
तन्त्रसार, अभिनवगुप्तपाद स्पन्दकारिका
भट्टकल्लवृत्तिसहिता
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Published
2017-09-30
How to Cite
अखिलेश खण्डुड़. (2017). त्रिक् दर्शन मे स्पन्द का स्वरूप . Universal Research Reports, 4(5), 1–8. Retrieved from https://urr.shodhsagar.com/index.php/j/article/view/164
Issue
Section
Original Research Article