यौगिक ग्रन्थों में समाधि का स्वरूप : एक विवेचनात्मक अध्ययन

Authors

  • suman Devi Research Scholar, Department of Physical Education, CRSU Jind.
  • Dr. Virender Kumar Assistant Professor, Department of Physical Education, CRSU Jind.

Keywords:

व्यायाम, योग, विवेचनात्मक अध्ययन

Abstract

विभिन्‍न यौगिक ग्रन्थों में ऋषि-मुनियों ने अपनी चेतना के सर्वोच्च तल पर पहुंचकर समाधि के परिपेक्ष्य में जो ज्ञान अग्नि प्रकट की, उसका विवेचनात्मक अध्ययन  किया गया है। बताया गया है कि किस तरह उन्होनें समाधि के विषय में अपने अनुभव से मानव जीवन के कल्याण हेतू प्रकट किया। समाधि क्या है और मानव जीवन में लिए क्यों आवश्यक है और किस तरह समाधि से मनुष्य अपने सर्वोच्च लक्ष्य की प्राप्ति कर सकता है, इन पहलुओं पर भी विचार किया गया है

References

योगश्चित्तवृत्तिनिरोध: (पतजालि योगसूत्र 72

योग: समाधि: (व्यास भाष्य सूत्र (८0

'तदेवार्थमात्रनिर्भासं स्वरूपशून्यमिव समाधि: (यो० सू० उ,८ जे व्यास भाष्य (सत्र 3.८3 समाधिश्च परो योगो बहुभाग्येन लभ्यते |

गुरो: कृपाप्रसादेन प्राप्यते गुरूभक्ति: || (घि0 सं0 समाधि प्रकरण सूत्र विद्याप्रतीति: .. स्वगुरूप्रतीतिरात्मप्रतीतिर्मनस: . प्रबोध: |

दिने-दिने . यस्य.. भवेत्स . योगी सुशोभनाभ्यासमुपैति सच: ।। (घि0 सए समाधि प्रकरण सुर) घटाद्विन्न॑ं मन: कृत्वा चैक्यं कुर्यात्परात्मनि |

समाधिं त॑ विजानीयान्मुक्तसंज्ञो दशादिभि: ।।

(घि0 स0 समाधि प्रकरण सूत्र) अह ब्रह्म न चान्योइस्मि ब्रहौवाहं न शोक भाव्‌।

नित्यमुक्त: स्वभाववान्‌ ।।(घि0 स० समाधि प्रकरण सुनी शाम्भव्या चैव भ्रामर्या खेचर्य्या योनिमुद्रया |

ध्यानं नादं रसानन्द॑ लयसिद्धिश्चतुर्विद्या | ।(घे0 सं समाधि प्रकरण सूत्र)

राजयोग: प्रत्येकमवधारयेत(घिए सा समाधि प्रकरण सुत्र-6) सम्यगाधीयत्‌ एकाग्री कियते विक्षेपान्‌। परिह्नत्य मनो यत्र: स समाधि: ||

(शोजराजो स्थितप्रज्ञस्य का भाषा समाधिस्थस्य केशव । स्थितधी: कि प्रभाषेत किमासीत ब्रजेत किम्‌ ||

(श्री0 श0 गीए 2:54 श्रुतिविप्रतिपन्ना ते यदा स्थास्यति निश्र्चला ।

समाधावचला बुद्धिस्तदा योगमवाप्स्यसि। | (श्री0 म0 गी० 2,८53

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Published

2017-12-30

How to Cite

Devi, suman, & Dr. Virender Kumar. (2017). यौगिक ग्रन्थों में समाधि का स्वरूप : एक विवेचनात्मक अध्ययन. Universal Research Reports, 4(8), 54–60. Retrieved from https://urr.shodhsagar.com/index.php/j/article/view/249

Issue

Section

Original Research Article