मानव जीवन में भक्ति का महत्व
Keywords:
उद्दीपत, सशक्त, भक्ति का महत्वAbstract
आदिकाल से ही साधना मनुष्य की आत्मा के लिए भोजन के रूप में रहा है। जो भी व्यक्ति-विशेष अपने भीतर दिव्य इच्छाएं 'जगाना-उद्दीपत्त करना चाहते है उन्हें साधना का सहारा लेना ही होता है। प्रभु की स्तुति, स्मरण अथवा साधना की महिमा के बखान से समस्त धर्मों के ग्रंथ भरे पड़े हैं। साधना मानव के जीवन के लिए अनिवार्य अंग होना चाहिए। आत्मबल की उपलब्धि साधना के बगर संभव नहीं हो सकती हे। साधना मानव के जीवन का सर्वाधिक सशक्त व सूक्ष्म रूप से ऊर्जा का स्त्रोत है। मनुष्य अपने जीवन में साधना के माध्यम से अपनी अभिलाषाओं की पूर्ति के लिए ऋषि, ऋषिकाओ आदि ने तीन प्रकार के मार्ग प्रयुक्त किए है: - कर्म 2. चिंतन 3... प्रार्थना | प्रभु की उपस्थिति का सतत् आभास प्रार्थना में होना चाहिए। साधना के समय चिंतन मनन की दिशा व धारा विधेयात्मक है।
References
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(रजनीश ओशो)
पातंजल योग सूत्र, गीता “ऋतम्भरा प्रज्ञा