“प्राण योग” की विवेचना एवं ‘प्राण शक्ति’ को बढाने के लिए षट्कर्म एवं प्राणायाम क्रिया का महत्त्व
Keywords:
योग, विवेचना, प्राण शक्तिAbstract
शरीर के समस्त क्रियाकलापों व गतिविधियों का ओर प्राणशक्तत है, जिसे जीवन शक्ति भी कहा जाता है। यह सारे शरीर को संचालित कर स्वस्थ बनाए रखती है। योग की मान्यता है कि शरीर में अगर प्राण उर्जा ठीक प्रकार से प्रवाहित होती रहे, तो शरीर स्वस्थ बना रहता है और यहि प्राण उर्जा के प्रवाह में बाधा आ जाये, तो शरीर रोगी हो जाता है। प्राण उर्जा योग शरीर में उर्जा के प्रवाह को व्यवक्स्थत करने का एक वैज्ञानिक तरीका है। इसमें रोग के मूल कारण पर जा कर उसका उपचार किया जाता है, जिसमें पंचकोषों को निर्मल कर शरीर में रुके मलों, विजातीय तत्वों,दूषित पदार्थों व वायु को बाहर निकाल कर शरीर की शक्ति को ब्रहमांड में फैली ईश्वरीय शक्ति के साथ एकाकार कर जाता है।
References
योग िशान : स्वामी रामिेव
योग सूर : वाचस्पतत लमश्र
पातंिल योग ववमशा : ववियपाल शास्री
पातंिल योग िशान : िगवंती िेशवाल