मानव जीवन मे कर्मयोग योग की उपयोगिता
Keywords:
कमम, कमम की उत्पगतAbstract
कममयोग की साधना से साधक के अंदर आत्मज्ञान प्राप्त करने के गिए अर्हता आती है , वेदान्त के अध्ययन के गिए वर् अगधकारी बनता र्ै, अज्ञानी िोग कममयोग रूपी प्राथगमक गसध्दांत प्राप्त ककये गबना र्ी एकदम ज्ञानयोग मे पहुँच जाना चर्ाते र्ै | इसगिए वे सत्य का साक्षातकार करने मे असफि र्ोते र्ै | गचत मे राग द्वेष असूया आकद द्वेष भरे रर्ते र्ै | ये ब्रम्र्ा की बात करेंगे व्यथम वाद-गववाद मे उिझेगें शुष्क तकम और अनन्त चचाम करेंगे | सारा दशमन उनकी गजव्र्ा पर र्ी रर्ता र्ै | दुसरे शब्दों मे शागब्दक वेदांती र्ै | िेककन आवश्कता र्ै व्यवार्ाररक की जो सत्तत गनस्वाथम सेवा से गनकिता र्ै |
References
श्री स्वामी गशवानन्द सरस्वती प्रकाशन 277क कममयोंग – साधना ,प्रकाशक – द गडवाइन िाइफ सोसायटी पत्रािंय : गशवानन्द नगर – गजिा :टीर्री – गढवाि ,उतरांचि गर्मािय ,भारत पेज पृष् सं7 1-28,6क,138
श्री टी के चसंर् ,प्रकाशन :2711 योंग के तत्व प्रकाशक – स्पोर्टसम पगब्िकेशन्स क/26 ग्राउंड फ्िोर ,अंसारी रोड दररया गंज ,नई कदकिी – 117772, पेज पृष् सं० 2-17,11
श्री स्वामी गनरंजन आनन्द सरस्वती प्रकाशन 2713 ,कमम और कममयोग ,प्रकाशक – योंग पगब्िकेशन्स ट्रस्ट,मुंगेर गबर्ार ,भारत | पेज पृष् सं० - 3-1
श्री स्वामी रामसुखदास ,श्रीमद भगवद्गीता ,साधक संजीवनी चर्ंदी रटका ,प्रकाशक – गीताप्रेस गोरखपुर – 2क3775 पेज पृष् सं० – 4-226,247