महाकवि कालिदास की कृतियों में प्रकृति प्रेम
Keywords:
प्रकृति मानव, कृतज्ञता व्यक्तAbstract
सृष्टि के आदि से अद्य पर्यन्त प्रकृति मानव की सहचरी रही है। मानव भी अपनी सहचरी के संरक्षण हेतु प्रयासरत रहा है। प्रकृति के क्रीडाड्गण में मनुष्य का सर्वतोमुखी विकास निर्भर है। यही कारण है कि मानव ने अपनी कृतियों में भी प्रकृति के प्रति कृतज्ञता व्यक्त की है। ‘पर्यावरण‘ शब्द की व्युत्पत्ति परि उपसर्ग पूर्वक आवरण शब्द के योग से हुई है जिसका अर्थ है- चारों ओर से घिरा हुआ। महाकवि कालिदास संस्कृत साहित्य में सर्वश्रेष्ठ कवि हैं जोकि कवि कुलगुरू के रूप में भी विख्यात है। महाकवि कालिदास महान चिंतक, कवि, दार्शनिक तथा दूर-दृष्टा होने के साथ-साथ प्रकृति प्रेमी भी थे। हम कालिदास की कृतियों में मनुष्य का प्रकृति के साथ अनेक प्रकार से संबंध देख सकते हैं।
References
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