महात्मा गांधी के शिक्षा दर्शन का आज के परिवेश में प्रसंगिकता
Keywords:
शिक्षा दर्शन, परिवेश में प्रसंगिकता, अग्रेजी शासन, छात्र-राजनीतिAbstract
दार्शनिकों, विचारकों एवं प्रसिद्ध शिक्षाशास्त्रियों ने समय-समय पर समाज व शिक्षा को समुन्नत बनाने और इसमें सुधार करने हेतु अनेक परामर्श दिए व सिद्धान्त निश्चित किए, किन्तु इस समस्त सिद्धान्तों को व्यवहारिक रूप में परिवर्तित करने हेतु आज तक कोई ठोस प्रयत्न नहीं किये गये और यही तथ्य वर्तमान भारतीय शिक्षा प्रणाली के दोषपूर्ण होने का सबसे बडा कारण है। कोरे सिद्धान्तों से ही काम नहीं चल सकता। किसी भी समाज, व्यक्ति अथवा शिक्षा प्रणाली की उन्नति तभी सम्भव होती है, जब सिद्धान्तों को व्यवहार में उतारा जाये। महान विचारकों, दार्शनिकों के शिक्षा सम्बन्धी सिद्धान्तों अथवा विचारों को व्यवहार रूप में न उत्तारने के कारण ही वर्तमान भारतीय शिक्षा प्रणाली में छात्र-असंतोष, अनशासनहीनता, शक्षित बेराजगारी शिक्षा में व्यवसायिकता का अभाव, तकनीकी शिक्षा का अभाव, छात्र-राजनीति आदि अनेक समस्याएं घर कर गई है। लार्ड मैकाले द्वारा निर्मित भारत की वर्तमान... शिक्षा प्रणाली के दोषपूर्ण होने का प्रमुख कारण यह भी रहा है कि इस प्रणाली का मुख्य उद्देश्य अग्रेजी शासन को चलाने के लिये अंग्रेजी पढे लिखे क्लर्क पैदा करना और भारतीयों को ईसाई मजहब के साँचे में ढालना था। तब से आज तक शिक्षा का वहीं उद्देश्य चला आ रहा है। इस शिक्षा प्रणाली में भारतीय आदर्शों के लिये लेशमात्र भी स्थान नहीं है। यह स्थिति देष के लिसे घातक है।
References
© UNIVERSAL RESEARCH REPORTS | REFEREED | PEER REVIEWED ISSN: 2348 - 5612 | Volume: 04 Issue: 03 | July - September 2017 1.http://hindivichar2.blogspot.in/2012/02/blog-post_4929.html
ग ांधीकीबुनिय दीशिक्ष -योजि by प्रोअनिरुद्धप्रस द
आजर्ीप्र सांगगकहैग ांधीक शिक्ष दिभि by vrijesh singh