जीवन और साहित्य में रस का स्थान एवं महत्त्व

Authors

  • सीमा Research Scholar

Keywords:

साहित्य, काल, सुख और दुख

Abstract

बाह्य दृश्य जगत और मनुष्य के अदृश्य अंतर्जगत  में शेष सृहि के साथ उसके सम्बंध-असम्बंध या अवरोध को लेकर किये जानेवाले कर्म -व्यापार तथा होनेवाली या की जानेवाली  क्रिया या प्रतिक्रिया  की समिष्टि चेतना  का नाम है  जीवन. इस द्वंद्वमय जीवन के दो पहलू हैं – सुख और दुख. संसार के विकास, विस्तार और परिवर्तन  के साथ उक्त दो मूल परवर्कातियों  भी नाना रूपों में विकास हुआ, भावों या मनोवेगों के अनेक रूप दीख पडे. 

References

http://www.navneethindi.com/ /721

साहित्य में रस का स्थान - आनंद प्रकाश दीहित

http://www.hindisamay.com/contentDetail.aspx?id=127&pageno=7

https://hi.wikipedia.org/wiki/

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Published

2017-12-30

How to Cite

सीमा. (2017). जीवन और साहित्य में रस का स्थान एवं महत्त्व . Universal Research Reports, 4(10), 10–12. Retrieved from https://urr.shodhsagar.com/index.php/j/article/view/301

Issue

Section

Original Research Article