औपनिवेशिक अर्थव्यवस्था, व्यपगत का सिद्धात : एक विवेचना

Authors

  • अिुबाला

Keywords:

वानणनययक चिण -1757-1813, औद्योनगक िानन्द्त

Abstract

औपनिवेशिक अर्थव्यवस्था से तात्पर्य है कि किसी दूसरे देश की अर्थव्यवस्था का उपयोग अपने हित के लिए प्रयोग करना। भारत में औपनिवेशिक अर्थव्यवस्था की शुरुआत 1757 ई0 में प्लासी युद्ध से हुई, जो विभिन्न चरणों में अपने बदलते स्वरूप के साथ स्वतंत्रता प्राप्ति तक चलती रही।

भारत में ब्रिटिश औपनिवेशिक अर्थव्यवस्था के बारे में सर्वप्रथम दादा भाई नौरोजी ने अपनी पुस्तक ’द पावर्टी एण्ड अन ब्रिटिश रूल इन इण्डिया’ में उल्लेख किया। इनके अलावा रजनी पाम दत्त, कार्ल माक्र्स, रमेश चन्द्र दत्त, वी.के.आर.वी राव आदि ने भी ब्रिटिश औपनिवेशिक अर्थव्यवस्था के बारे में अपने विचार प्रगट किये हैं।

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Published

2017-12-30

How to Cite

अिुबाला. (2017). औपनिवेशिक अर्थव्यवस्था, व्यपगत का सिद्धात : एक विवेचना . Universal Research Reports, 4(12), 50–54. Retrieved from https://urr.shodhsagar.com/index.php/j/article/view/364

Issue

Section

Original Research Article