कालिदास कृत मेघदूत: एक विवेचना
Keywords:
संस्कृत, मेघAbstract
संस्कृत भाषा ही आर्यों की मातृ-भाषा थी। कहतें हैं-उस समय संस्कृत भाषा को ही लोक-व्यहार के प्रयोग में लाया जाता था। इसलिए संस्कृत के प्रकाण्ड विद्वानों की भी कमी नहीं थी। कुछ विद्वान वीणा पाणि मां सरस्वती के कृपा-पात्र भी थे, उनमें से एक कवि कालिदास का नाम भी आता है। संचार के साधनों में पशु-पक्षी भी आते थे। इसलिए विरही यक्ष का संदेश-वाहक कवि ने मेघ (बादल) को बनाया जिसमें विरह-व्यथा के मार्मिक वर्णन का प्राकृतिक चित्रण भी अपना महत्त्वपूर्ण स्थान रखता है।
तारक नामक असुर का वध भगवान शंकर के अंश द्वारा ही सम्भव था। इसलिए परम विरक्त शिवजी को वैवाहिक बंधन में बंधने हेतु कामदेव को भेजना, शिव-कोप से कामदेव का भस्म होना, पार्वतीजी के अखंड तप से शिव का प्रसन्न होना, पार्वती-विवाह और काम का पुनर्जीवित होना, शिव का दाम्पत्य सुख-भोग और सुकुमार (स्वामी कार्तिकेय) की उत्पत्ति, सेनापतित्व में तारक असुर का वध आदि का वर्णन ‘कुमार संभवम्’ काव्य में बहुत ही सरस एवं अलंकृत भाषा में किया गया है।
References
काव्य मीमांसा - राजशेखर
ध्वन्यालोक - व्याख्याकार श्री कृष्ण कुमार
ध्वन्यालोक - व्याख्याकार, आचार्य विश्वेश्वर
वक्रा ेक्तिजीवित - कुन्तक
काव्यालंकार सूत्र – वामन
"मेघदूत" (पीएचपी). भारतीय साहित्य संग्रह. अभिगमन तिथि ९ मार्च २००९. |
"कालिदास कृत मेघदूत और उसकी लोकप्रियता" (एचटीएम). हिन्दी नेस्ट. अभिगमन तिथि ९ मार्च २००९. |