हिंदी उपन्यासों में कथ्य: एक विवेचना

Authors

  • हसिं

Keywords:

कथ्य, समीक्षा

Abstract

कथ्य शब्द संस्कृत की ‘कथ्‌’ धातु से बना है, जिस का अर्थ है  ‘कहना’। साहित्यकार युगीन परिवेश से साक्षात्कार करके अपने समाज का निरीक्षण करता है और उचित-अनुचित को ध्यान रखते हुए समाज के समुचित विकास की ओर संकेत करता है। साहित्यकार स्रष्टा एवं दृष्टा बनकर समाज की संभावनाओं को लक्ष्य करके अपने पाठकों से जो कुछ कहता है, वही उसके साहित्य का कथ्य कहलाता है। समीक्षक इनके अनुशीलन द्वारा ही कृति का विश्लेषण करता है। कथ्य क्यास होता है- समीक्षा के क्षेत्र में यह विवाद का विषय बना हुआ है। उसको अलग-अलग किस प्रकार पहचाना जा सकता है। कृति में कथ्य और शिल्प दोनों में से किस का महत्त्व अधिक है और इनका संबंध कैसा और क्याज है। वास्तव में देखा जाए तो कृति में कथ्य और शिल्प दोनों का अपना-अपना महत्त्व है, क्योंकि कथ्य और शिल्प के द्वारा ही कृति के स्वरूप का निर्माण होता है। इनके पारस्परिक स्वरूप के विवेचन-विश्लेषण के लिए लेखक की मनोवृति और परिस्थिति को जानना अनिवार्य है।

References

गायकबाड (प्राचार्य, डॉ.) नाना, रामदरश मिश्र का गद्य-साहित्य, गुजैनी, कानपुर-22, प्रथम संस्करण: 2007

गोस्वामी यशवंत , रामदरश मिश्र के उपन्यासों में गृहपरिवार, प्रकाशन नया साहित्य केंद्र, सोनिया बिहार, दिल्लीर-94, प्रथम संस्करण: 2005

गोहिल मनीश, उपेन्द्रनाथ 'अश्क' के उपन्यास : कथ्य और शिल्प, प्रकाशन पल्लसब, दिल्ली8-009], प्रथम संस्करण:2007

चब्हाण (डॉ.) बी. पी., रामदरश मिश्र के कथा साहित्य में ग्राम्य जीवन, चिंतन प्रकाशन, हंसपुरम, कानपुर-208 02, प्रथम संस्करण: 2004

चिकुडेंकर (डॉ.) प्रकाश शंकरराब, रामदरश मिश्र के उपन्यास्रों में समाज- जीवन, नमन प्रकाशन, नयी दिल्लीक-02, प्रथम संस्करण: 2002

चौहान (डॉ.) महावीर सिंह, रामदरश मिश्र की सृजन-यात्रा, बाणी प्रकाशन, नयी दिल्लीन-0 002, प्रथम संस्करण: 99

जंघाले (डॉ.) झेड. एम., रामदरश मिश्र के उपन्यासों में यथार्थ, विकास प्रकाशन कानपुर-208027, प्रथम संस्करण: 2009

जाधब (डॉ.) सुब्राव नामदेब, रामदरश मिश्र के उपन्यासों में चित्रित समस्याएँ : विविध आयाम, साहित्यसागर, यशोदानगर, कानपुर-2080], प्रथम संस्करण: 2009

तिबारी नित्यानन्द, रचनाकार रामदरश मिश्र, राधा पब्लिकेशन्स, नयी दिल्ली0- 0 002, ट्वितीय संस्करण: 1997

दबे अमि, कहानीकार रामदरश मिश्र, गरिमा प्रकाशन, कानपुर, प्रथम संस्करण: 2004

Downloads

Published

2018-03-30

How to Cite

हसिं अ. (2018). हिंदी उपन्यासों में कथ्य: एक विवेचना. Universal Research Reports, 5(1), 172–175. Retrieved from https://urr.shodhsagar.com/index.php/j/article/view/507

Issue

Section

Original Research Article