भारतीय सभ्यता में नारी का महत्व

Authors

  • Punia S MA (Sanskrit literature), Mphil (Sanskrit)

Keywords:

नारी का महत्व, पशिा और नारी

Abstract

भारत में ही नहीं अपितु सांसार की पिपभन्न सांस्कृपतयों के पनमााण में नारी का योगदान अपत महत्ििूणा रहा है तथा युगों से ही ककसी भी राष्ट्र की सांस्कृपत का मुख्य मािदांड भी नारी की पस्थपत ही रही है। यही कारण है कक नारी की पस्थपत में होने िाले िररितान प्रत्येक युग के सामापिक च ांतकों के पलए च ांतन के पिषय रहे हैं। सत्य ही कहा गया है कक नारी पशपित है तो िह अिनी सांतान को अच्छी पशिा देकर एक योग्य एिां सांिन्न व्यपि बना सकती है। यकद नारी ही सांकीणा भािना से ग्रस्त रहे तो िह अिनी सांतान को कैसे िररिार एिां राष्ट्र के पलए स ेत कर सकती है। सामापिक िरांिराओं में िररितान के साथ-साथ नारी की पस्थपत में भी िररितान हुए हैं। इसीपलए प्रत्येक युग के व्यिस्थाकारों च ांतकों एिां सापहत्यकारों के समि नारी की पस्थपत के पिषय में मन िैिरीत्य िाया िाना स्िभापिक है।

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Published

2018-03-30

How to Cite

Punia, S. (2018). भारतीय सभ्यता में नारी का महत्व. Universal Research Reports, 5(1), 186–191. Retrieved from https://urr.shodhsagar.com/index.php/j/article/view/510

Issue

Section

Original Research Article