शिक्षा के क्षेत्र में वेदों की उपयोशिता पर एक शववेचना

Authors

  • रूबी िोधार्थिनी, इशतहास शवभाि , चौधरी चरण ससिंह शवशिद्यालय, मेरठ |

Keywords:

वैकदक, शिक्षा

Abstract

वतिमान की जड़ अतीत में होती है। ककसी भी देि का अतीत उसकी वतिमान और भावी प्रेरणा का मूल स्रोत होता है। प्राचीन भारत की यह शविेषता है कक इसका शनमािण राजनीशतक, आर्थिक तथा सामाशजक क्षेत्र में न होकर धार्मिक क्षेत्र में हुआ था। जीवन में प्रायः सभी अिंिों में धमि का प्रधान्य था। भारतीय सिंमकृशत धमि की भावनाओं से ओतप्रोत है। हमारे पूविजों ने जीवन की जो व्याख्या की तथा अपने कतिव्यों का जो शवश्लेषण ककया वह सभी उनके वृहत्तर अध्यात्म ज्ञान की ओर सिंकेत करता है। उनकी राजनीशतक तथा सामाशजक वामतशवकता केवल भौिोशलक सीमाओं के अिंतिित ही बिंध कर नहीं रह िई, उन्होंने जीवन को एक व्यापक दृशिकोण से देखा और 'सविभूत हीते रत: होना ही अपना कतिव्य समझा। भारत ने केवल भारतीयता का शवकास नहीं ककया, उसने शचर-मानव को जन्म कदया और मानवता का शवकास करना ही उसकी सम्यता का एकमात्र उद्देश्य हो िया। उसके शलए वसुधा कूटुिंब थी।

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Published

2018-03-30

How to Cite

रूबी. (2018). शिक्षा के क्षेत्र में वेदों की उपयोशिता पर एक शववेचना. Universal Research Reports, 5(1), 284–289. Retrieved from https://urr.shodhsagar.com/index.php/j/article/view/524

Issue

Section

Original Research Article