सामाजिक न्याय की स्थिति - महिलाओं के विषेष संदर्भ में।
Keywords:
सामाजिक चेतना वैयक्तिक चेतना, प्रस्थितिAbstract
समाज में सामाजिक न्याय की अवधारणा अत्यंत व्यापक एवं महत्वपूर्ण है। व्यक्ति के अधिकारों के परीप्रेक्ष्य मंे सामाजिक न्याय जिसमें व्यक्ति की व्यक्तिक एवं सामाजिक चेतना के साथ समाज में व्याप्त ऊंॅच नीच और भेदभाव को तार्किक एवं विवेकीकृत तरीके से समझने एवं विष्लेषण करने का प्रयास किया। सामाजिक न्याय की शब्दावली में व्यक्ति के विकास में समाज की हिस्सेदारी अत्यधिक है अतः सामाजिक संरचनाओं एवं प्रक्रियाओं की भूमिका महत्वपूर्ण है। न्याय के विभिन्न पहलूओं में सामाजिक न्याय की अवधारणा महत्वपूर्ण एवं अनिवार्य है। सामाजिक न्याय की अवधारणा किसी काल विषेष व्यक्ति विषेष या देष विषेष के चिंतन का परिणाम नहीं है यह तो समाज निर्माण के समय से चली आने वाली प्रक्रिया है। महिलाएं समाज के 50 प्रतिषत जनसंख्या का प्रतिनिधित्व करती हैं। महिलाओं की क्षमताओं को समाज में विस्मृत नहीं किया जा सकता। वर्तमान में महिलाएं समाज के प्रत्येक क्षेत्र में बराबरी से अपनी सक्रिय भूमिका निभा रही हैं। समाज की सोच को व्यापक बताते हुए सामाजिक न्याय के परिप्रेक्ष्य में महिलाओं की उपस्थिति को स्वाभाविक एवं सरलता से स्वीकार किया जाना आज के समाज के लिए अत्यंत आवष्यक है।
References
सामाजिक, आर्थिक व राजनीतिक न्यायसंपादक- डाॅ0 शीला रायइशिका पब्लिकेशन, नई दिल्ली
निजता के अधिकारसुनिल कुमार मिश्राराजीव पिपलानीमार्डन लाॅ हाउस, नई दिल्ली
सामाजिक न्याय एवं राजनीतिक संतुलनअनिरूद्ध प्रसादरावत पब्लिकेशन, जयपुरडाॅ0 जय नारायण पाण्डेभारत का संविधानसेंट्रल लाॅ ऐजेंसी, इलाहाबाद
भारत में समाज कल्याण प्रशासनडी. सचदेवकिताब महल, जयपुर