सैंधव व वैदिक काल में व्यापार एवं साधन-एक समीक्षा

Authors

  • सिंह

Keywords:

सैंधव, वैदिक, व्यापार

Abstract

प्राचीन काल में भी जब मनुष्य की यात्राओं का एक मात्र उद्देश्य केवल ऐेसे स्थानों की खोज था, जहाँ वह आसानी से खाने-पीने की वस्तुएँ जैसे कन्द-मूल-फल एवं पशु तथा रहने के लिए गुफाएँ प्राप्त कर सके, तब भी बड़े-बड़े पर्वत, घने जंगल तथा विशाल रेगिस्तान उसे यात्रा करने से नहीं रोक सके। समय परिवर्तन के साथ उसने यायावरी जीवन का परित्याग कर कृषि तथा पशुपालन के माध्यम से एक स्थान पर स्थायी रूप से रहना प्रारम्भ किया। इस प्रकार जीवन मे स्थायित्व आने पर उसने सभ्यता के प्रत्येक क्षेत्र में आगे बढ़ना प्रारम्भ कर दिया। प्रारम्भ में तो उसकी आवश्यकताएँ अपने ही क्षेत्र में पूरी हो जाती थी, लेकिन कई वस्तुओं को प्राप्त करने की लालसा ने उसे नये-नये क्षेत्रों में आगे बढ़ने के लिए प्रेरित किया, जिससे नये-नये मार्गों का विकास हुआ। देश को पथ-पद्वति के विकास मे कितना समय लगा होगा इसका कोई अन्दाजा नहीं कर सकता। इसके विकास में तो अनेक युग लगे होंगे और हजारों जातियों ने इसमें भाग लिया होगा। आदिम फिरन्दरों ने अपने ढोर-ढंगरो के चारे की तलाश में घूमते हुए रास्तों की जानकारी क्रमश-बढ़ाई होगी, पर उनके भी पहले शिकार की तलाश में घूमते हुए शिकारियों ने ऐसे रास्तों का पता चला लिया होगा जो बाद मे चलकर राजमार्ग बन गये। खोज का यह क्रम अनेक युगों तक चलता रहा और इस तरह देश में पथ-पद्धति का जाल सा बिछ गया।

References

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Published

2018-03-30

How to Cite

सिंह स. (2018). सैंधव व वैदिक काल में व्यापार एवं साधन-एक समीक्षा. Universal Research Reports, 5(1), 340–347. Retrieved from https://urr.shodhsagar.com/index.php/j/article/view/532

Issue

Section

Original Research Article