ग्रामीण समाज और संचार के बदलते आयाम

Authors

  • कुमारी

Keywords:

आयाम, भािर्ीय ग्रामीण

Abstract

सामान्य रूप से ग्रामीण परििर्िन को आधुननकीकिण, ग्रामीण विकास, आर्थिक संिचना में परििर्िन, औि कृवि क्षेत्र से अथिव्यिस्था के गैि-कृवि क्षेत्रों में जनसंख्या के प्रिास के रूप में अिधािणाबद्ध ककया गया है। ग्रामीण परििर्िन के अध्ययन के ललए विलभन्न सैद्धांनर्क दृष्टिकोण (एक आयामी औि बहुआयामी) लागू ककए गए हैं, औि इन दृष्टिकोणों में ग्रामीण परििर्िन / परििर्िन की प्रकृनर् औि परिमाण की जांच किने के ललए विलभन्न संकेर्क शालमल हैं। ग्रामीण परििर्िन के अध्ययन के ललए ग्रामीण विकास के दृष्टिकोण की इस आधाि पि आलोचना की गई है कक ग्रामीण परििर्िन में हमेशा विकास शालमल नह ं होर्ा है। यह लेख भािर्ीय अनुभि की जांच किर्ा है औि र्कि देर्ा है कक भािर् के ग्रामीण परििर्िन में कृवि क्षेत्र से गैि-कृवि क्षेत्रों में प्रिास औि भािर्ीय अथिव्यिस्था का गैि-कृविकिण शालमल है।

References

एनोन। िा। "ग्रामीण भािर् में परििर्िन की डिष्जिल हिाएं।"

बकानी, बुच। 2007. "04_ग्रामीण समाज में परििर्िन औि विकास।" विकास।

माथुि, आशीि। 2014. "भािर्ीय ग्रामीण विकास के आयाम: मुद्दे औि चुनौनर्यां आददत्य सूचना विज्ञान औि अनुसंधान केंद्र।" (ददसंबि 2011)।

िोजसि, एििेि एम., औि िैबेल जे. बजि। 1972. ग्रामीण समाजों में सामाष्जक परििर्िन। िॉल्यूम। 64.

Downloads

Published

2018-03-30

How to Cite

कुमारी आ. (2018). ग्रामीण समाज और संचार के बदलते आयाम. Universal Research Reports, 5(2), 277–282. Retrieved from https://urr.shodhsagar.com/index.php/j/article/view/637

Issue

Section

Original Research Article