चरकसंहिता में प्रयुक्त धात्वार्थो ंका विवेचन

Authors

  • Devi S

Keywords:

प्राचीनतम ग्रन्थ

Abstract

चरकसंहिता (च. सं.) आयुर्वेद का प्रसिद्ध एवं प्राचीनतम ग्रंथ है। इस संहिता का मूल नाम अग्निवेशतन्त्र था, जिसका निर्माण अग्निवेश ने किया, सबसे पूर्व इन्होंने ही आत्रेय के उपदेश का सूत्ररूप में संकलन किया1, सूत्ररूप अग्निवेशतन्त्र पर ही चरक ने संग्रह तथा भाष्य लिखा, जिसने च. सं. के नाम से प्रसिद्धि प्राप्त की। कालान्तर में दृढ़बल ने इसका पुनः प्रतिसंस्कार किया। इन तीनों स्थितियों का संकेत सूत्र-भाष्य-संग्रह क्रम द्वारा किया गया है2। दृढ़बल ने इस संहिता के प्रतिसंस्कार में अनेक नवीन तथ्यों का समाकलन कर इसे आयुर्वेदीय जगत् में चिकित्सा की सर्वोच्च संहिता-ग्रन्थ के रूप में स्थान दिलाया। अतएव अत्रोच्यते - ‘यदिहास्ति तदन्यत्र, यन्नेहास्ति न तत् क्वचित्’3।
प्रस्तुत शोध-पत्र में (च.सं.) में प्रयुक्त धात्वर्थों का विवेचन किया गया है। आचार्य पतंजलि के अनुसार - ‘अर्थ गत्यर्थः शब्दप्रयोगः’ अर्थात् भाषा की उत्त्पत्ति अर्थ की सूक्ष्म अभिव्यक्ति के लिए हुई है। अर्थ भाषा की आत्मा है। अर्थ चिन्तन का प्रारम्भ ऋग्वेद से हो जाता है। तदनन्तर निरुक्त शब्दार्थ के क्रमबद्ध चिन्तन का प्राचीनतम ग्रन्थ है। अर्थ के अभाव में भाषा का कोई महत्त्व नहीं होता है। ऋग्वेद के सूक्त 10.71 के अनुसार जो व्यक्ति अर्थज्ञान से रहित है, वह वाणी को देखता हुआ भी नही देखता है, सुनता हुआ भी नहीं सुनता है, किन्तु जो अर्थग्राही है उसके प्रति वाणी अपने रहस्यों को इस प्रकार खोल देती है जैसे एक शोभवसना पत्नी पति के समक्ष स्वयं को विवृत कर देती है।4 अर्थज्ञान बिना सम्पूर्ण वाड्.मय भारभूत होता है। 

References

च.सं. , 1.1.4

वही, 3.8.3

वही, 1.29.7

वही, 8.12.53

ऋग्वेद, 10.71.4

च.सं. , 6.19.47

वही, 1.9.23

(क) वही, 5.8.19 (ख) वही,

वही, 6.30.38.

(क) वही, 6.23.102 (ख) वही,

(क) वही, 4.1.77 (ख) वही,

वही, 6.24.184

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Published

2018-03-30

How to Cite

Devi, S. (2018). चरकसंहिता में प्रयुक्त धात्वार्थो ंका विवेचन. Universal Research Reports, 5(3), 49–51. Retrieved from https://urr.shodhsagar.com/index.php/j/article/view/647

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Original Research Article