हरियाणा राज्य में उभरता महिला नेतृत्व का विश्लेषणात्मक अध्ययन (हरियाणा पंचायती राज संशोधन अधिनियम 2015 के सन्दर्भ में)
Keywords:
हरियाणा, हरियाणा पंचायती राज संशोधन अधिनियम 2015 के सन्दर्भ मेंAbstract
भारत में व्यापक स्तर पर महिला राजनीतिक अधिकारों के संघर्ष का प्रारम्भ स्वतन्त्रता आन्दोलनों के दौरान ही हो गया था। अपने राजनीतिक अधिकारों के लिए भारतीय महिलाओं की तरफ से पहली माँग 1917 में की गई। 1917 में श्रीमती ऐनी बेसेन्ट को भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की प्रथम महिला अध्यक्ष चुना गया। वर्ष 1917 में ही मारग्रेट काॅजिन्स के नेतृत्व में ‘सरोजनी नायडू, ऐनी बेसेन्ट, डाॅव्म् जोशी, हीरा बाई टाटा एवं डारोथी जिना राजदास तत्कालीन भारत सचिव ईव्म्एसव्म् माण्टेन्यू व गवर्नर चेम्स फोर्ड से मिली तथा महिलाओं के मताधिकार की माँग की।
लोकतन्त्र एक ऐसी व्यवस्था है, जिसमें नागरिक अपने सामाजिक समुदायों के लिए नीति - निर्माण की प्रक्रिया में भाग लेते हैं। वास्वत में यह नीति - निर्माण की प्रक्रिया समाज के समस्त सदस्यों की सामान्य सहभागिता पर निर्भर करती है, जहाँ पर सामान्य सहभागिता के आधार पर नीति -निर्माण की व्यवस्था होती है। इसे लघु स्तर पर हम वास्तव में स्वशासित समूह की संज्ञा में रख सकते हैं। ज्ञातव्य है कि लोकतन्त्र एक बड़ी व्यापक एवं विस्तृत संकल्पना है। लोकतन्त्र के सन्दर्भ में सर्वाधिक महŸवपूर्ण तथ्य यह है कि नीति - निर्माण की प्रक्रिया में समस्त नागरिकों को बिना किसी भेदभाव के समान भागीदारी का अवसर प्राप्त हो। फाईनर (1970), राजनीतिक समाज में निंरकुश तंन्त्रों से लेकर लोकतन्त्रों तक में सामान्य जनता की अपेक्षा विशिष्ट वर्ग अधिक सक्रिय रहता है। यद्यपि जनंतात्रिक व्यवस्थाओं में जनता की शासन प्रक्रिया में भागीदारी आवश्यक है, फिर भी सभी जनतंत्र एक से नहीं होते हैं। इनमें भिन्नता का कारण जनता की भागीदारी के साथ-साथ इनका प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष रूप भी होता है। जनसाधारण को शासन प्रक्रिया में भागीदारी जनमत संग्रह, लोकनिर्णय, चुनाव, प्रतिनिधित्व व्यवस्था व राजनीतिक दलों के माध्यम से प्राप्त होती है।
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