कमलेश्वर की कहानियों में यथार्थ
Keywords:
यथार्थ, वास्तविकता, सामाजिक सत्यAbstract
कहानी एक यथार्थवादी विधा है। सामाजिक सत्य से ही कहानी का जन्म स्वीकारा गया है। यथार्थ का आर्थ इनसाइक्लोपीडक डिक्शनरी के अनुसार :- “यथार्थ, संज्ञा, वास्तविकता, मूल्य से सादृश्य, वास्तविक अस्तित्व जो सत्य है, बाह्य प्रतीतियों में अन्तर्निहित तत्व, विद्यमान वस्तु, यथार्थ की वास्तविक प्रकृति ।” वही यथार्थ का अभिप्राय प्लेटो ने वस्तुनिष्ठ अनुभव 'होना' स्वीकारा है। डॉ. नरेन्द्र सिंह यथार्थ को साहित्य के साथ जोड़ते हुए कहते हैं - “जीवन तथा कला को सर्वांग दृष्टि से देखा जाने लगा था साहित्य में एक नये दृष्टिकोण का जन्म हुआ जिसे यथार्थवाद के नाम से अभिहित किया गया।
References
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आधुनिक साहित्य चिंतन और डॉ. नरेन्द्र सिंह कुछ विशिष्ट साहित्यकार वाणी प्रकाशन, 2/38 अंसारी मार्ग 'दरियागंज, नई दिल्ली - 440002