कमलेश्वर की कहानियों में यथार्थ

Authors

  • नीलम सहायक प्राध्यापक, हिन्दू कन्या महाविद्यालय, जीन्द

Keywords:

यथार्थ, वास्तविकता, सामाजिक सत्य

Abstract

कहानी एक यथार्थवादी विधा है। सामाजिक सत्य से ही कहानी का जन्म स्वीकारा गया है। यथार्थ का आर्थ इनसाइक्लोपीडक डिक्शनरी के अनुसार :- “यथार्थ, संज्ञा, वास्तविकता, मूल्य से सादृश्य, वास्तविक अस्तित्व जो सत्य है, बाह्य प्रतीतियों में अन्तर्निहित तत्व, विद्यमान वस्तु, यथार्थ की वास्तविक प्रकृति ।” वही यथार्थ का अभिप्राय प्लेटो ने वस्तुनिष्ठ अनुभव 'होना' स्वीकारा है। डॉ. नरेन्द्र सिंह यथार्थ को साहित्य के साथ जोड़ते हुए कहते हैं - “जीवन तथा कला को सर्वांग दृष्टि से देखा जाने लगा था साहित्य में एक नये दृष्टिकोण का जन्म हुआ जिसे यथार्थवाद के नाम से अभिहित किया गया। 

References

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मास का दरिया 'कमलेश्वर अकबर प्रकाशन प्रा. लि., दिल्‍ली |

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समग्र कहानियाँ 'कमलेश्वर राजपाल एण्ड सन्स प्रथम संस्करण - 2007

राजा निरबंसिया 'कमलेश्वर शब्दकार, प्रकाशन - 982

खोई हुई दिशाएँ 'कमलेश्वर भारतीय ज्ञानपीठ, कलकत्ता प्रथम संस्करण - 963

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Published

2017-06-30

How to Cite

नीलम. (2017). कमलेश्वर की कहानियों में यथार्थ . Universal Research Reports, 4(2), 11–14. Retrieved from https://urr.shodhsagar.com/index.php/j/article/view/69

Issue

Section

Original Research Article