भारतीय आयय भाषाओं का पररचय और वर्गीकरण
Keywords:
भाषा, ब्रजभाषाAbstract
मानव भाषा के माध्मय से अपने ववचारों का आदान-प्रदान करते हैं । भाषा मनुष्य मात्र की ववशेषता है । भारत में हम कई भाषाएँ बोलते हैं - वहदी, तवमल, बंर्गला, मवणपुरी, आसामी, आदद । ये भाषाएँ दकस रूप में एक -दूसरे सम्बद्ध हैं ; यह जानने के वलए इसके प्राचीन इवतहास को जानने की आवश्यकता है । हहंदी भाषा और सावहत्य का ववकास क्रम प्राय: समान्तर चलता है । प्राचीनकाल (सन् 1300ई. से सन् 1500ई. तक) उस समय अपभ्रश तथा प्राकृतों का प्रभाव वहन्दी भाषा पर मौजूद था, साथ ही वहन्दी की बोवलयों के वनवित अथवा स्पष्ट रूप ववकवसत नहीं हुए थे । मध्यकाल (सन् 1500 ई. से 1800 ई.)तक अब वहन्दी उक्त प्रभाव से मुक्त हो र्गई थी और वहन्दी की बोवलयाँ ववशेष कर ब्रज और अवधी अवस्तत्व में आ र्गई थीं। आददकाल में राजस्थान की मारवाडी बोली, भवक्तकाल में तुलसीदास ने अवधी का एवं कृष्णभक्त कववयों ने ब्रजभाषा का प्रयोर्ग दकया । भवक्तकाल के पूवय ववद्यापवत ने स्थानीय बोली मैवथली में अपने काव्य का सृजन दकया । रीवतकाल में ब्रजभाषा का वचयस्व रहा। इस प्रकार अलर्ग -अलर्ग समय में अलर्ग-अलर्ग बोवलयों में सावहत्य का सृजन हुआ । आधुवनककाल (सन् 1800 से अब तक) में वहन्दी की बोवलयों के रूपों का पररवतयन प्रारंभ हो र्गया ।
References
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