भारतीय दलित साहित्य पर एक विवेचना

Authors

  • जागृलत चाणक्यपुरी, अलियापुर, पोस्ट- उमानगर, मुजफ्फरपुर |

Keywords:

भारतीय, दलित, सालित्य

Abstract

हिंदी में दलित साहित्य लिखने की परंपरा नौवें दशक से शुरू होती है । कुछ लोगों की यह धारणा है कि हिंदी दलित साहित्य का उदगम मराठी दलित साहित्य से हुआ है यानि हिंदी दलित साहित्य पर मराठी दलित साहित्य की संपूर्ण छाप है, पर इनकी धारणा पूरी तरह सच नहीं है । हिंदी दलित साहित्य के उद्भव के पीछे नाथ और सिद्ध कवियों की महत्वपूर्ण भूमिका देखने को मिलती है । सिद्ध कवियों में बहुत सारे कवि शुद्र थे, जिन्होंने अपनी तत्कालीन पीड़ा का परिप्रकाशन किया था । इतना ही नहीं मध्यकाल में निर्गुण संत रैदास जैसे कवि ने खुद वर्ण व्यवस्था के शिकार होकर इसके खिलाफ आवाज उठायी थी । दलितों में चेतना उत्पन्न करने का प्रयास किया था । इस दृष्टि से उन्हें मध्यकाल में प्रथम दलित चेतना संपन्न कवि माना जाता है । वस्तुत: हिंदी दलित कविता मध्यकाल के निर्गुण संत कवि रैदास और कबीर से शुरू होकर 'हीराडोम' और ‘अछूतानंद' तक आयी

References

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बाबा बटेसरनाथ, नागार्जुन रचनावली - 4, सं. - शोभाकांत, राजकमल प्रकाशन, प्रथम संस्करण 2003, पृ.- 404

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बलचनमा, नागार्जुन रचनावली - 4, पृ. - 128

बाबा बटेसरनाथ, पृ. -377 नई पौध - पृ. - 255

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Published

2018-06-30

How to Cite

जागृलत. (2018). भारतीय दलित साहित्य पर एक विवेचना. Universal Research Reports, 5(5), 114–118. Retrieved from https://urr.shodhsagar.com/index.php/j/article/view/799

Issue

Section

Original Research Article