समकालीन हिन्दी कहानी में गैर-दलितों का दलित-विषयक लेखन और उसका समाज पर प्रभाव
Keywords:
समकालीन, दलित वर्ग की ऐतिहासिकताAbstract
दलित वर्ग की ऐतिहासिकता की चर्चा करने से पहले इस वर्ग में आने वाली जातीय समूहों की पहचान करनी आवश्यक है। इस वर्ग से मेरा तात्पर्य भारतीय समाज के उन जातीय समूहो से है जो वर्णाश्रम व्यवस्था से बाहर है। इस तरह इस वर्ग के अंतर्गत अछूत और आदिवासी ही नहीं, बल्कि इन दो समूहों से अन्य धर्मों में धर्मांतरित लोग जैसे, दलित-मुस्लिम, दलित इसाई, दलित बौद्व और दलित-सिक्ख आते है। वर्णाश्रम व्यवस्था से बाहर होने का अर्थ है हिंदू धर्म से बाहर होना। पर इस दृष्टिकोण को और सही ढंग से समझने के लिए संक्षेप में इसकी व्याख्या आवश्यक है। इससे बात पूरी तरह स्पष्ट हो जाएगी।
References
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