समकालीन हिन्दी कहानी में गैर-दलितों का दलित-विषयक लेखन और उसका समाज पर प्रभाव

Authors

  • Choudhary S

Keywords:

समकालीन, दलित वर्ग की ऐतिहासिकता

Abstract

दलित वर्ग की ऐतिहासिकता की चर्चा करने से पहले इस वर्ग में आने वाली जातीय समूहों की पहचान करनी आवश्यक है। इस वर्ग से मेरा तात्पर्य भारतीय समाज के उन जातीय समूहो से है जो वर्णाश्रम व्यवस्था से बाहर है। इस तरह इस वर्ग के अंतर्गत अछूत और आदिवासी ही नहीं, बल्कि इन दो समूहों से अन्य धर्मों में धर्मांतरित लोग जैसे, दलित-मुस्लिम, दलित इसाई, दलित बौद्व और दलित-सिक्ख आते है। वर्णाश्रम व्यवस्था से बाहर होने का अर्थ है हिंदू धर्म से बाहर होना। पर इस दृष्टिकोण को और सही ढंग से समझने के लिए संक्षेप में इसकी व्याख्या आवश्यक है। इससे बात पूरी तरह स्पष्ट हो जाएगी।

References

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Published

2019-03-30

How to Cite

choudhary, S. (2019). समकालीन हिन्दी कहानी में गैर-दलितों का दलित-विषयक लेखन और उसका समाज पर प्रभाव. Universal Research Reports, 6(1), 58–65. Retrieved from https://urr.shodhsagar.com/index.php/j/article/view/861

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Original Research Article