भारतीय साहित्य में निर्गुण काव्य
Keywords:
निर्गुण, भारतीयAbstract
निर्गुण काव्य का भारतीय साहित्य में विषेष स्थान है। निर्गुण कवियों का उद्देष्य कविता करना न होकर भारतीय समाज में फैली हुई कुरीतियों पर प्रहार करना था। ये ईष्वर उपासना में बाह्य आडम्बरों का विरोध करते थे। इन कवियों में कबीर, नानक, दादूदयाल, मलूकदास आदि के नाम लिये जा सकते हैं। इन कवियों पर आरोप लगे कि ये वैयक्तिक कल्याण को समाज-कल्याण से अधिक महत्त्व देते हैं और ये कवि पलायनवादी प्रवृति के रहे हंै। इन आरोपों में वैयक्तिक कल्याण की बात करें तो इन निर्गुण कवियों ने समाज-कल्याण के लिए ही प्रयत्न किये। उन्होंने मूर्तिपूजा, सामाजिक कुरीतियों, आडम्बरों आदि पर अपने काव्य के माध्यम से प्रहार किया है। ये कवि संन्यासी न होकर गृहस्थ जीवन व्यतीत करते थे। सामाजिक व्यक्ति होने के कारण ये समाज की परिस्थितियों व बुराइयों को अच्छी तरह जानते थे। इन्होंने समाज की पीड़ा, दर्द, घुटन व कठिनाइयों को सहन व महसूस किया था। इन कवियों ने समाज सुधारक की भूमिका निभाई।
References
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