लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक के राजनीतिक विचारों का विश्लेषणात्मक अध्ययन

Authors

  • जुिारी पी. एच. डी. शोधार्थी इतिहास विभाग, अिधेश प्रिाप तसंह विश्वविद्यालय रीिा, (म०प्र०)

Keywords:

राजनीतिक, राष्ट्र

Abstract

लोकमान्य का व्यक्तित्व और संपूर्ण जीवन संघर्ष की एक संगठित कहानी है। इतिहास ने उन्हें जो प्रेरणा दी उस प्रेरणा से वशीभूत होकर उन्होंने नए इतिहास की रचना की थी। सी वाई चिंतामणि जो तिलक के आलोचक थे उन्होंने भी यह स्वीकार किया कि स्वाधीनता का उत्कट प्रेम उनके जीवन का स्थाई भाव था। यह सही है कि उनके लिए स्वराज धर्म था, स्वराज्य उनके लिए जीवन था। उनके अपने ही एक लेख के अनुसार स्वराज के बिना हमारा जीवन और हमारा धर्म व्यर्थ है। एक तरफ तिलक का यह दृष्टिकोण था और दूसरी तरफ ब्रिटिश शासन की निरंकुशता थी। लोकमान्य यह पूरी तरह से जानते थे कि स्वराज की मांग ही ब्रिटिश सरकार को अप्रसन्‍न करने वाली है। स्वराज्य को प्राप्त करने के लिए जो उपाय किए जाएंगे। उनसे अंग्रेजों का अप्रसन्‍न होना स्वभाविक था। अध्यापन के कार्य से मुक्त होने के बाद केसरी और मराठा में जिन विचारों का प्रतिपादन किया उनसे ब्रिटिश शासन नाराज हुआ उन पर दो बार राजद्रोह का मुकदमा चला और उन्हें कारावास का दंड भी भोगना पड़ा।

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Published

2021-12-30

How to Cite

जुिारी र. (2021). लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक के राजनीतिक विचारों का विश्लेषणात्मक अध्ययन . Universal Research Reports, 8(4), 76–82. Retrieved from https://urr.shodhsagar.com/index.php/j/article/view/944

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Original Research Article