प्रेमचंद के उपन्यास ‘गोदान’ में कृषक जीवन का यथार्थ

Authors

  • छिम्पा

Keywords:

अभिलाषा, यथार्थ

Abstract

उपन्यास सम्राट मुंशी प्रेमचंद द्वारा रचित ‘गोदान’ एक ऐसा उपन्यास है जिसमें कृषकों के जीवन का मार्मिक व यथार्थ चित्रण प्रस्तुत किया गया है। उपन्यास का केन्द्र-बिन्दु गरीब किसान होरी व उसकी पत्नी धनिया के इर्द-गिर्द घुमता है जो कृषक समाज की संस्कृति का सजीव चित्रण प्रस्तुत करता है। इस उपन्यास में इन्होंने आदर्शवादी घेरे को तोड़कर यथार्थ की तस्वीर प्रस्तुत की है। होरी को मर्यादा की बहुत फिक्र रहती है, उसे लगता है कि राय साहब जैसे जमींदार लोगों से मिलते रहने से सामाजिक मर्यादा बढ़ती है। होरी के मन में एक गाय की अभिलाषा है, गाय उसके लिए सजीव सम्पत्ति के साथ मान-मर्यादा की भी सूचक है और अपनी परिस्थितियों के बिल्कुल विपरीत जाकर गाय को 80 रुपये के कर्ज पर खरीद भी लेता है लेकिन होरी का भाई हीरा द्वेषवश गाय को विष देकर मार डालता है। गोबर व भोला की विधवा पुत्री झुनिया का प्रेम भी इसी गाय के कारण हुआ लेकिन उसके गर्भवती होने व धनिया द्वारा उसे अपने घर रखने पर पंचायत उन पर भारी जुर्माना लगा देती है। इन्हीं परिस्थितियों में जमींदारो के कर्ज से व बिरादरी की मर्यादा ढ़ोते हुए होरी की मृत्यु हो जाती है और गाय का गोदान न करके भूखे रहकर मजदूरी से उपार्जित किये गए 20 आने से गोदान किया जाता है। इस प्रकार गरीब किसानों पर दंड व जुर्माना लगा लगाकर उनसे अनाज व पैसे हड़पे जाते हैं और ये किसान विवश होकर कुछ नहीं कर पाते हैं।

References

सत्यकाम, आलोचनात्मक यथार्थवाद और प्रेमचंद, राधाकृष्ण प्रकाशन प्रा॰ लि॰ नई दिल्ली, पृष्ठ 58.

मुंशी प्रेमचंद, गोदान, मंजूल पब्लिशिंग हाउस प्रा. लि. भोपाल, पृष्ठ 11.

वही, पृष्ठ 11

वही, पृष्ठ 21

वही, पृष्ठ 25

वही, पृष्ठ 107

वही, पृष्ठ 112

वही, पृ॰ 120

वही, पृ॰ 133

वही, पृ॰ 135

वही, पृ॰ 358

वही, पृष्ठ 365

वही, पृष्ठ 366

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Published

2021-12-30

How to Cite

छिम्पा ब. (2021). प्रेमचंद के उपन्यास ‘गोदान’ में कृषक जीवन का यथार्थ. Universal Research Reports, 8(4), 89–93. Retrieved from https://urr.shodhsagar.com/index.php/j/article/view/946

Issue

Section

Original Research Article