एकात्म मानववाद के परिपे्रक्ष्य में पं. दीनदयाल उपाध्याय का पाश्चात्य व भारतीय जीवनदर्शन

Authors

  • देवी

Keywords:

रहस्यवाद, अनुसंधान

Abstract

इस शोधपत्र में एकात्म मानववाद की वैचारिक ऐतिहासिक पृष्ठभूमि, पृष्ठभूमि, विकासक्रम, नामकरण, भारतीय व पाश्चात्य जीवनदर्शन तथा समाजशास्त्रीय प्रवृतियों का वर्णन किया गया है।एकात्म मानववाद की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि, वैचारिक पृष्ठभूमि, भारतीय व पाश्चात्य
एकात्मवाद की वैचारिक पृष्ठभूमि ‘एकात्म मानववाद‘ की वैचारिक पृष्ठभूमि के दो आयाम है। प्रथम, पाश्चात्य तथा द्वितीय, भारतीय जीवनदर्शन । अतः कहा जा सकता है कि पाश्चात्य ‘मानववाद‘ के भारतीयकरण की प्रक्रिया की फलश्रुति है ‘एकात्म मानववाद‘।

References

महेश चन्द्र शर्मा - दीनदयाल उपाध्याय कृर्तव्य एवं विचार पृ0 398

ठण्छण् ळंदहनसपए श्प्कमवसवहपमे ंदक जीम ैवबपमस ैबपमदबमश् च्.14.15

महेश चन्द्र शर्मा - पृ0 402

एकात्म दर्शन, राष्ट्रवाद की सही कल्पना, पृ0 10

बौद्विक पंजिका, राजस्थान 4 जून 1964 को संघ शिक्षा वर्ग में दिए गए बौद्विक वर्ग के आधार पर।

‘एकात्म मानववाद‘ पृ0 18

श्री अरविन्द वन्देमातरम में लिखा गया लेख ‘यूरोप और एशिया‘ 3 जुलाई 1908 पृ0 69-71

श्री अरविन्द ‘प्राचीन भारत की राज्य व्यवस्था‘ वन्देमातरम 20 मार्च 1908

एकात्म दर्शन, राष्ट्रजीवन के अनुकूल अर्थ - रचना पृ0 72

वहीं पृ0 71

वहीं पृ0 73

दीनदयाल उपाध्याय द्वारा लिखा गया अप्रकाशित लेख ‘स्वतंत्रता के साधन और सिद्धि‘ दीनदयाल शोध संस्थान की फाइल से प्राप्त, दिल्ली पृ0 3

पा´चजन्य 21 फरवरी, 1966 पृ0 10 (उत्तर प्रदेश जनसंघ के मुरादाबाद अधिवेशन में दीनदयाल उपाध्याय का भाषण)

एकात्म दर्शन राष्ट्रजीवन के अनुकूल अर्थ-रचना, पृ0 73

Downloads

Published

2023-03-30

How to Cite

देवी द. (2023). एकात्म मानववाद के परिपे्रक्ष्य में पं. दीनदयाल उपाध्याय का पाश्चात्य व भारतीय जीवनदर्शन. Universal Research Reports, 10(1), 93–100. Retrieved from https://urr.shodhsagar.com/index.php/j/article/view/1069

Issue

Section

Original Research Article