पं0 दीनदयाल उपाध्याय की सामाजिक - सांस्कृतिक सक्रियता
Keywords:
सामाजिकए, सांस्कृतिकएAbstract
रहा संघ के अनेक कार्यकर्ता समाज के विविध क्षेत्रों में भेजे गए थे। उसी क्रम में दीनदयाल उपाध्याय को राजनीतिक क्षेत्र का दायित्व मिला था, लेकिन उन्होंने कभी भी अपने आप पर राजनीति को हावी नहीं होने दिया। इसके अलावा वे लेखन के माध्यम से भी अपनी सामाजिक भूमिका अदा करते थे। वे पत्रकार भी थे। वस्तुतः दीनदयाल उपाध्याय राजनीतिक क्षेत्र में सामाजिक व सांस्कृतिक दृष्टिपथ के प्रतिनिधि थे। राष्ट्रीय स्वंय सेवक संघ के एक प्रशिक्षण शिविर में भाषण देते हुए उन्होंने कहा था कि संघ के स्वंयसेवकों को राजनीति से दूर रहना चाहिए, जैसे कि मैं हूँ। एक राजनीतिक दल के महामंत्री का यह कथन पहेली था। अतः स्पष्टीकरण देते हुए उन्होंने कहा था कि, “संघ का स्वंयसेवक समाज के हर क्षेत्र में सामाजिक-सांस्कृतिक कार्यकर्ता के नाते ही जाता है। विभिन्न राजनीतिक-आर्थिक संस्थाओं में काम करते हुए भी वह उन संस्थाओं व क्षेत्र की एकांगिता को अपने ऊपर हावी नहीं होने देता। राजनीति में जाते ही आज जो सत्तावाद एवं दलवाद व्यक्ति पर हावी होता है, इसको राजनीतिक क्षेत्र की मजबूरी माना जाता है। स्वंयसेवक को इससे दूर रहना चाहिए।“
References
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