प्रेमचंद की कहानियों में सामाजिक यथार्थ

Authors

  • Dr. Bimal Malik Assistant Professor Dept. Of Hindi, CRM Jat College, Hisar

DOI:

https://doi.org/10.36676/urr.v11.i4.1539

Keywords:

प्रेमचंद, सामाजिक यथार्थ

Abstract

हिंदी साहित्य के इतिहास में मुंशी प्रेमचंद का स्थान अत्यंत महत्वपूर्ण है। उन्होंने अपनी कहानियों के माध्यम से भारतीय समाज की उस सच्चाई को प्रस्तुत किया, जिसे अक्सर उपेक्षित किया जाता था। यह शोध-पत्र प्रेमचंद की कहानियों में निहित सामाजिक यथार्थ को उजागर करने का प्रयास करता है, विशेष रूप से वर्ग संघर्ष, जातिगत भेदभाव, नारी जीवन, कृषक जीवन और नैतिक मूल्यों के संदर्भ में।

प्रेमचंद हिंदी साहित्य के यथार्थवादी कथाकार माने जाते हैं। उनकी कहानियों में भारतीय समाज की सच्चाई, विशेष रूप से ग्रामीण जीवन, आर्थिक विषमता, जातिगत भेदभाव, नारी की दशा, किसान की पीड़ा, भ्रष्टाचार, शोषण और नैतिक द्वंद्व जैसी समस्याओं का अत्यंत सजीव चित्रण मिलता है। वे समाज के वंचित और पीड़ित वर्ग की आवाज़ बनकर सामने आते हैं।

प्रस्तावना: प्रेमचंद हिंदी साहित्य के युगप्रवर्तक कथाकार माने जाते हैं, जिन्होंने अपने लेखन के माध्यम से भारतीय समाज की गहन पड़ताल की और उसमें व्याप्त विषमताओं, अन्याय, शोषण, गरीबी तथा वर्ग संघर्ष को यथार्थ रूप में प्रस्तुत किया। बीसवीं शताब्दी के पूर्वार्द्ध में जब भारतीय समाज औपनिवेशिक शासन, आर्थिक शोषण, जातिगत भेदभाव और सामाजिक रूढ़ियों से जूझ रहा था, तब प्रेमचंद ने अपनी कहानियों में उस यथार्थ का सजीव चित्रण किया जो आम जनता के जीवन का हिस्सा था।

References

प्रेमचंद, मुंशी – मानसरोवर (सभी भाग)

विद्यानिवास मिश्र – प्रेमचंद और हिंदी समाज

रामविलास शर्मा – प्रेमचंद और भारतीय समाज

नामवर सिंह – कहानी नई कहानी

महाविद्यालयीन शोध-पत्र और जर्नल लेख

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Published

2024-09-27
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DOI: 10.36676/urr.v11.i4.1539
Published: 2024-09-27

How to Cite

Dr. Bimal Malik. (2024). प्रेमचंद की कहानियों में सामाजिक यथार्थ . Universal Research Reports, 11(4), 398–401. https://doi.org/10.36676/urr.v11.i4.1539

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Original Research Article