सशक्तिकर्ण : एक समाज शास्त्रीय विश्लेषण
Keywords:
उच्च शिक्षा, समाज में स्त्रियों, अभूतपूर्व परिवर्तनAbstract
प्रत्येक समाज में स्त्रियों और स्त्रियों और पुरूषों की रही है इस बात में सामाजिक स्थिति उनके आदर्शा और कार्यों के अनुसार निश्चित कोई दो राय नहीं हैं। इन आदशों और कायों का निर्धारण उस समाज की संस्कृति करती है। संस्कृति यह निश्चित करती है कि पारिवारिक बाहर निकली हैं तथा और सामाजिक जीवन में स्त्रियों और पुरूषों का महत्व कितना है जीवन को प्रत्येक क्षेत्र उनके क्या-क्या कार्य हैं। ये महत्व और कार्य ही यह निश्चित करते... में उनका योगदान हैं कि समाज में स्त्रियों का स्थान पुरूषों के ऊपर, बराबर या नीचे निंरतर बढ़ रहा है। होगा। मारतीय समाज पर से भारत में स््रयो हि दृष्टिपात करें तो हम पाएंगे कि चंद वर्षो में ही महिलाओं ने अपनी 'बीसवीं शताब्दी में भारत में स्त्रियों कौ स्थिति में हि न 3 ही उनके कि लि तिल सफलता के झंडे गाड़ दिए हैं जो भले ही उनके समक्ष नयी अभूतपूर्व परिवर्तन हुआ। महिलाओं के लिए आब कोई क्षेत्र ऐसा नहीं रहा जहां उनको दि लि समस्याएं पैदा करनी वाले कारक बने हों, पंरतु पुरानी रूढ़ियां हिल नहीं रहा जहां उनकी पहुंच न हो ।
References
महिला सशक्तीकरण
नारी शिक्षा : एक महत्वपूर्ण पहल : डॉ. प्रदीप
विकास और महिला: डॉ. विश्वकान्ता प्रसाद
महिला और समाज : डॉ. शिव प्रसाद
महिला उत्पीड़न : डॉ. अशोक कुमार
नारी जीवन और चुनौतियां : डॉ. चन्दमणि सिंह
नारी के बढ़ते कदम : डॉ. विनय कुमार