दलित चेतना एवं दलित विमर्श : अंतर एवं अंतर्संबंध
Keywords:
दलित चेतना, साहित्य , सामाजिक यथार्थAbstract
साहित्य केवल सामाजिक यथार्थ का मनरूपक ही नही है बल्कि वैचारिक क्रांति का वाहक भी है। समय समय पर हुए दलित साहित्य से सम्बंधित विमर्श ने उसका स्वरूप निर्धारित करने का प्रयास कीया है। हिंदी में दलित साहित्य के प्रादुर्भाव से पहले ही दलित विमर्श की प्रकिर्या विधमान थी।
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