शंकर शेष के नाटकों की मंचीय संप्रेषणीयता
Keywords:
नाटक ं की मंचीय संप्रेषणीयता, मंचीय संप्रेषणीयताAbstract
हिंदी के समकालीन प्नारयोगधर्टमी नाटककारों की परम्परा में शंकर शेष का विशिष्ठ स्थान है। उनके अधिकांश नाटक चर्चित रहे हैं। आधुनिक बोध के साथ-साथ उनके नाटकों में रंगमंचीय व्यवस्था भी है।
References
डॉ०नारायण राि, ििंकर िेष का नाटक सामहत्य, सामहत्य रत्नालय, कानपुर, 01, सिंस्करण-1998, पृष्ठ 230 राजपथ से जनपथ नटमिल्पी ििंकर िेष- डॉ. सुरेि गौति, डॉ. िीणा गौति, िारदा प्रकािन, नई मदल्ली, प्रथि सिंस्करण, 1986- पृ.109
राजपथ से जनपथ नटमिल्पी ििंकर िेष- डॉ. सुरेि गौति, डॉ. िीणा गौति, िारदा प्रकािन, नई मदल्ली, प्रथि सिंस्करण, 1986-पृ. 111
नाटक (िूमतिकार), मकताबघर प्रकािन नई मदल्ली, खण्ड-3, सिंस्करण-2000, पृष्ठ 65 सिकालीन महन्दी नाटक और रिंगििंच- जयदेि तनेजा, तिमिला प्रकािन, नई मदल्ली, 1978, पृ. 42
नई रिंग-चेतना और महन्दी नाटककार-जयदेि तनेजा, तिमिला प्रकािन, नई मदल्ली-1994, पृ. 142
नई रिंग-चेतना और महन्दी नाटककार- जयदेि तनेजा, तिमिला प्रकािन, नई मदल्ली-1994, पृ. 143
‘कोिल गािंधार’, सिग्र नाटक, ििंकर िेष, भाग-1, सिं. हेििंत कुकरेती, मकताबघर प्रकािन, नई मदल्ली, 2010, पृ.142
नाटक (िूमतिकार), मकताबघर प्रकािन नई मदल्ली, खण्ड-2, सिंस्करण-2000, पृष्ठ 160
राजपथ से जनपथ नटमिल्पी- डॉ. सुरेि गौति, डॉ. िीणा गौति, िारदा प्रकािन, नई मदल्ली, प्रथि सिंस्करण, 1986-पृ.135