वर्तमान युग में जल चिकित्सा का महत्त्त्व

Authors

  • Jyoti M.A. Yoga, Department of Yoga, CRSU, Jind
  • Jaipal Rajput Assistant Professor, Department of Yoga, CRSU, Jind

Keywords:

जल चिकित्सा, वर्तमान युग, विशेष महत्त्व

Abstract

वर्तमान युग में बहुर् सारी चिकित्सा प्रचलित है परन्तु वेद शास्त्रों के प्राकर्तिक  चिकित्सा के अनुसार प्रकर्ति  का अपना एक विशेष महत्त्व है | 

References

योगा" चत्तवृत्तिनिरोध: (पंतजालि योगसुत्र 7.८2

योग: समाधि: (व्यास भाष्य सूत्र 7.८0 तदेवार्थमात्रनिर्भासं स्वरूप'

न्यमिव समाधि: (यो० सू० 3:८3 व्यास भाष्य (सूत्र 3.८3 समारधिच परो योगों बहुभाग्येन लभ्यते |

गुरो: कृपाप्रसादेन प्राप्यते गुरूमक्ति: ।| (घि0 संए समाधि प्रकरण सूत्र!)

विद्याप्रतीति: _. स्वगुरूप्रतीतिरात्मप्रतीतिर्मनस: . प्रबोध: |

दिने-दिने . यस्य . भवेत्स . योगी सुोभनाभ्यासमुपैति सच्य: || (घि0 स० समाधि प्रकरण सुन)

घटाद्विन्न॑ मन: कृत्वा चैक्यं कुर्यात्परात्मनि ।

समाधिं त॑ विजानीयान्मुक्तसंज्ञो दशादिभि: || (घि0 सा समाधि प्रकरण सुत्र-द)

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Published

2017-12-30

How to Cite

Jyoti, & Rajput, J. (2017). वर्तमान युग में जल चिकित्सा का महत्त्त्व. Universal Research Reports, 4(8), 65–69. Retrieved from https://urr.shodhsagar.com/index.php/j/article/view/251

Issue

Section

Original Research Article