भीष्म साहनी के उपन्यास में धार्मिक समस्या

Authors

  • रानी

Keywords:

तत्कालीन समाज, मानवीय अधिकार

Abstract

भारतीय तत्कालीन समाज में अनेक समस्याएँ मौजूद थी। इन समस्याओं के निर्मुलन हेतु एक ओर स्वतंत्रता आंदोलन अपने चरमोत्कर्ष पर था। तो दूसरी ओर समाज सुधार की आवाद बुलंद थी। समाज द्वारा युगों से शोषित व पीडित वर्गों को मानवीय अधिकार दिलाने के लिए रूढिवादी मान्यताओं एवं रीति रिवाजों पर भीषण प्रहर किये जा रहे थे। अनेक समाज सुधारक एवं समाज चिंतक सिर पर कफन बाँधकर इस क्षेत्र में उतर आये पुरुष कृत अत्याचारों से पीडित नारी और अबिजात्य वर्ग द्वारा शोषित अछूत इस सुधार के केन्द्र रहे। पाश्चिक दासता से मुक्ति दिलाने के लिए अनेक आंदोलनों का सूत्रपात हुआ। देश में सर्वत्र समाज सुधार एवं वैचारिक परिवर्तन की लहर सी दौड गयी। समाज से ही चेतना पानेवाला संवेदनशील साहित्यकार इस परिवर्तन से कैसे अछुता रह सकता था ? उसने कला और साहित्य के माध्यम से सामाजिक समस्याओं व परिस्थितियों को अभिव्यक्त किया। नारी अस्पृश्यता और मानव जीवन से सम्बन्धित शायद ही कोई ऐसी समस्या हो, जो इन साहित्यकारों के हाथों न पदी हो। भीष्म साहनीजी ने भी समाज में स्थित अनेक समस्याओं को प्रस्तुत करके उसके समाधान करने का प्रयास किया है।

References

राजेश्वर सक्सेना एवं प्रताप ठाकूर-भीष्म साहनी व्यक्ति और रचना

डाॅ0 सुरेश बाबर-भीष्म साहनी के साहित्य का अनुशीलन

डाॅ0 भारत कुचेकर - भीष्म साहनी व्यक्तित्व एवं कृतित्व

रवीन्द्र गासो - भीष्म साहनी की औपन्यासिक चेतन

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Published

2017-12-30

How to Cite

रानी य. (2017). भीष्म साहनी के उपन्यास में धार्मिक समस्या. Universal Research Reports, 4(13), 147–150. Retrieved from https://urr.shodhsagar.com/index.php/j/article/view/414

Issue

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Original Research Article