भूमंडलीकरण के परिप्रेक्ष्य में हिन्दी साहित्य

Authors

  • रानी

Keywords:

भूमण्डलीयकरण, हिन्दी साहित्य

Abstract

इक्कीसवीं सदी में समय समाज, संस्कृति, देश और भाषा में परिवर्तन आ रहा है। परन्तु इसमें घबराने की आवश्यकता नहीं है। परिवर्तन युग की मांग है। इस परिवर्तन का अन्य एक नाम है। भूमंडलीकरण अर्थात ग्लोबलाइजेशन। आज यह शब्द अपेक्षाकृत नया और काफी प्रचलन में आया शब्द है। इसे हिन्दी के साथ जोड़कर अक्सर सुना जाता है। हिन्दी भाषा और साहित्य पर इसका प्रभाव गहरा है। भूमंडलीकरण हिन्दी साहित्य जगत को रूपायित किया है। इस सन्दर्भ में ग्लोबल होती हिन्दी साहित्य पर चर्चा अनिवार्य है।

References

संग्रथन, अंक: 9 वर्ष: 28, मार्च: 2015, पृष्ठ: 50 से उद्दत

गीत चतुर्वेदी, सिमसिम, प्रगतिशील वसुधा, कहानी विशेषांक - 1 पृष्ठ - 314, 2008-2009

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Published

2018-03-30

How to Cite

रानी य. (2018). भूमंडलीकरण के परिप्रेक्ष्य में हिन्दी साहित्य. Universal Research Reports, 5(3), 215–217. Retrieved from https://urr.shodhsagar.com/index.php/j/article/view/680

Issue

Section

Original Research Article