साहित्य में नारी: अस्तित्व के लिए संघर्ष
Keywords:
हीन-भावना, प्रतिस्पर्धाAbstract
स्त्रियों की मानसिकता तेजी से बदल रही है। शिक्षित एवं कामकाजी महिलाओं के जीवन में मतभेद बढ़ रहे हैं और अधिक मनोवैज्ञानिक समस्यांए उत्पन्न हो रही है। नारी के प्रति नारी की ही संघर्ष-चेतना सर्वाधिक तीव्र हो रही है। यह चेतना क्यों तीव्र हो रही हैं, इसके कारणों पर प्रकाश डालते हुए अनेक कहानी-लेखिकाओं ने कहानियाँ लिखी हैं। नायिका जो कि विरोधी प्रवृत्ति की होती है या कहानी का रूख अपनी ओर खींचने का प्रयास करने वाली स्त्री पात्राओं के व्यवहार को अगर कभी पारिभाषित नहीं किया जा सकता या कारणों को लेखिकाएँ लिख नहीं सकती तो कभी इनमें ईष्र्या-द्वेष भाव, हीन-भावना, प्रतिस्पर्धा, आत्म विश्वास की कमी, असुरक्षा सहानुभूति की कमी आदि कारण पाए जाते हैं।
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