नारी सशक्तिकरण
Keywords:
नारी, संयमAbstract
महिला कहो या नारी-इस नाम का जब भी जिक्र आता है तो अनेकों मुद्दे उभरकर सामने आ खड़े होते हैं। आज हर तरफ से आवाजें आ रही हैं कि नारी को शक्तिशाली कैसे बनाया जाए लेकिन यदि हम उन महिलाओं की तरफ एक दृष्टि दौड़ा कर देखंे जिन्होेंने ऊँचे मुकाम को हासिल किया है तो हम अपने आप ही समझ जाएंगंे कि उसे शक्तिशाली बनाने की कोई जरूरत नहीं है, वह तो स्वयं ही शक्ति से भरपूर है और समय आने पर उसने हर क्षेत्र में इस शक्ति का, अपनी हिम्मत और साहस का परिचय भी दिया है। चरम सीमा पर पहुंची हुई ये औरतें अपने जीवन में अनुशासन को अपनाते हुए, संयम से काम लेते हुए और नियमों का पालन करते हुए इस शिखर को छू पाई हैं, क्योकि ये तीन ऐसे मंत्र है जिनके बल पर व्यक्ति मरूस्थल में भी फूल खिला सकता है
References
वही, पृ. सं. 18
वही, पृ. सं. 18
वही, पृ. सं. 15
वही, पृ. सं. 15
लता खण्डेलवाल, 8 मार्च, 2010, दैनिक भास्कर, पृ. सं. 02, (14 साल में भी नहीं देख पाई पुरा गाँव)
डाॅ. बलजीत सिह पृ. सं. 15
वही, पृ. सं. 17
डाॅ. सुदेश राठी धर्मपत्नी डाॅ. राजीव राठी, राठी हस्पताल, पटियाला चैक, हरियाणा
शकुन्तला जाखू (वित्तायुक्त एवं प्रधान), सचिव, हरियाणा सरकार, महिला एवं बाल विकास विभाग, एम. पी. बंसल (निदेशक महिला एवं बाल विकास विभाग) 8 मार्च, 2010, दैनिक भास्कर, पृ. स. 42
डाॅ. बलजीत सिंह, इन्द्रधनुष के रंग, पृ. स. 42