काम का अधिकार: भारत में मौलिक अधिकार के रूप में कार्य करने का अधिकार : एक विवेचना

Authors

  • यादव
  • मिश्रा

Keywords:

काम करने का मानि अधिकार, रोिगार समानता धनदेश

Abstract

मानवाधिकार  की स्थापना 2 अक्टूबर 1993 में हुई। जिसके उद्देश्य नौकरशाही पर रोक लगाना, मानव अधिकारों के हनन को रोकना तथा लोक सेवक द्वारा उनका शोषण करने में अंकुश लगाना। मानवाधिकार की सुरक्षा के बिना सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक आज़ादी खोखली है मानवाधिकार की लड़ाई हम सभी की लड़ाई है। विश्वभर में नस्ल, धर्म, जाति के नाम मानव द्वारा मानव का शोषण हो रहा है। अत्याचार एवम जुल्म के पहाड़ तोड़े जा रहे हैं। हमारे देश में स्वतंत्रता के पश्चात् धर्म एवम जाति के नाम पर भारतवासियों को विभाजित करने का प्रयास किया जा रहा है। आदमी गौर हो या काला, हिन्दू हो या मुस्लमान, सिख हो या ईसाई, हिंदी बोले या कोई अन्य भाषा सभी केवल इंसान हैं और संयुक्त राष्ट्र संघ द्वारा घोषित मानवाधिकारों को प्राप्त करने का अधिकार है। मानव अधिकार का मतलब ऐसे हक़ जो हमारे जीवन और मान-सम्मान से जुड़े हैं।

References

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Published

2018-03-30

How to Cite

यादव श. प., & मिश्रा श. (2018). काम का अधिकार: भारत में मौलिक अधिकार के रूप में कार्य करने का अधिकार : एक विवेचना. Universal Research Reports, 5(2), 129–133. Retrieved from https://urr.shodhsagar.com/index.php/j/article/view/607

Issue

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Original Research Article