काम का अधिकार: भारत में मौलिक अधिकार के रूप में कार्य करने का अधिकार : एक विवेचना
Keywords:
मानि अधिकार, रोिगार समानता धनदेशAbstract
मानवाधिकार की स्थापना 2 अक्टूबर 1993 में हुई। जिसके उद्देश्य नौकरशाही पर रोक लगाना, मानव अधिकारों के हनन को रोकना तथा लोक सेवक द्वारा उनका शोषण करने में अंकुश लगाना। मानवाधिकार की सुरक्षा के बिना सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक आज़ादी खोखली है मानवाधिकार की लड़ाई हम सभी की लड़ाई है। विश्वभर में नस्ल, धर्म, जाति के नाम मानव द्वारा मानव का शोषण हो रहा है। अत्याचार एवम जुल्म के पहाड़ तोड़े जा रहे हैं। हमारे देश में स्वतंत्रता के पश्चात् धर्म एवम जाति के नाम पर भारतवासियों को विभाजित करने का प्रयास किया जा रहा है। आदमी गौर हो या काला, हिन्दू हो या मुस्लमान, सिख हो या ईसाई, हिंदी बोले या कोई अन्य भाषा सभी केवल इंसान हैं और संयुक्त राष्ट्र संघ द्वारा घोषित मानवाधिकारों को प्राप्त करने का अधिकार है। मानव अधिकार का मतलब ऐसे हक़ जो हमारे जीवन और मान-सम्मान से जुड़े हैं।
19वीं शताब्दी की शुरुआत में सामाजिक उथल-पुथल के प्रकाश में फ्रांसीसी समाजवादी नेता लुई ब्लैंक ने वाक्यांश "187 के वित्तीय संकट के चलते बेरोजगारी बढ़ाई और 1848 की फ्रांसीसी क्रांति का नेतृत्व किया। संपत्ति का अधिकार राजनीतिक आजादी और समानता, और संपत्ति के सामंती नियंत्रण के खिलाफ शुरुआती खोजों में एक महत्वपूर्ण मांग थी। संपत्ति उन अधिकारों के आधार के रूप में कार्य कर सकती है जो जीवन स्तर के पर्याप्त मानक के अधिकार की प्राप्ति सुनिश्चित करते हैं और यह केवल संपत्ति मालिक थे जिन्हें प्रारंभ में नागरिक और राजनीतिक अधिकारों जैसे वोट देने का अधिकार दिया गया था।
References
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