समकालीन कहानी व विभाजन का दर्द

Authors

  • कुमारी

Keywords:

साहित्य समाज

Abstract

साहित्य समाज का दर्पण होता है। साहित्य में वही दिखाई पड़ता हैं जो समाज में घटित होता है। साहित्यकार अपनी रचनाओं में समाज में होने वाली प्रत्येक गतिविधि को अभिव्यक्त करता है। कहानी हिन्दी साहित्य की प्रमुख विद्या है जो समाज देश काल वातावरण आदि प्रत्येक पहलू को अपने में समेटे हुए है। हिन्दी साहित्य के इतिहास में कहानी की अहम भूमिका हैं। हिन्दी के कहानीकारो ने समाज के प्रहरी की भूमिका अदा करते हुए सभी परिस्थितियो को अपनी कहानियों में सजगता से उकेरा है। हिन्दी कहानी अपने उद्भवकाल से ही समाज की किसी न किसी समस्या को उजागर करती रही है, चाहे वह किसानों की हो, या फिर समाज के किसी भी वर्ग की हो कहानी के प्रथम काल में कहानी के कथानक में आदर्शवाद का पुट अधिक था। धीर-धीरे कहानी की विषय वस्तु मंे परिवर्तन आया, जिसमें आदर्शवाद और यथार्यवाद का मिश्रण होने लगा। अब कहानी समाज के अधिक निकट आने लगी। कहानी में पुरानी परम्पराओं के साथ नई परम्पराओं का उदय हुआ।

References

नयी कहानी की भूमिका: राजकमल प्रकाशन

भारतीयता और समकालीन हिन्दी कहानी: ीपदकपेंउंलण्बवउ

नयी कहानी समय संपादक: पुष्पपाल ंिसंह, पृष्ठ 94, 96

मेरी माँ कहाँ: कृष्णा सोबती: ीपदकपेंउंलण्बवउ

मोहन राकेश संचयन संपादक रवींद्र कालिया।

शरणदाता: अज्ञेय: हिन्दी समय डाॅट काॅम

माटी रही पुकार: बिशन टंडन हिन्दी समय डाॅट काॅम

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Published

2018-03-30

How to Cite

कुमारी र. (2018). समकालीन कहानी व विभाजन का दर्द. Universal Research Reports, 5(2), 141–143. Retrieved from https://urr.shodhsagar.com/index.php/j/article/view/611

Issue

Section

Original Research Article