निर्गुण काव्य और समाज सुधार
Keywords:
सामाजिक, निर्गुणAbstract
साहित्य व सामाजिक परिवर्तन का गहरा सम्बन्ध रहा है। इसलिए साहित्य को समाज का आईना कहा गया है, क्योंकि साहित्य हमेशा तात्कालीन समाज के रीति-रिवाजों, सुख-दुःख व विभिन्न परिस्थितियों के संदर्भ में रचा जाता रहा है। देश में होने वाले परिवर्तन आमजन की मान्यताओं व विश्वासों में बदलाव लाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। हिन्दी साहित्य के इतिहास के मध्ययुगीन काव्य के अन्तर्गत निर्गुण-काव्य का विषिष्ट स्थान है। निर्गुण कवियों ने मानव जाति को ऊँच-नीच, जात-पात, गरीब-अमीर आदि के भेद-भावों से दूर रहते हुए एक सुंदर समाज के निर्माण की ओर अग्रसर किया। ये संत कवि व्यक्तिगत सुधार के द्वारा पूरे समाज का सुधार करना अपना मुख्य उद्देश्य मानते थे। इन्होंने मानव जाति के संस्कारोें में बदलाव करके समाज को स्वस्थ बनाने का भरसक प्रयास किया है।
References
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