छात्रों युवा बच्चों में शैक्षणिक उपलब्धि में आत्म-प्रभावकारिता की भूमिका
Keywords:
ववद्यालय वातावििा, छात्र समायोजनAbstract
विद्यालय एक ऐसा स्थान है जहां पर शिक्षार्थियों को शिक्षा दी जाती है ताकि छात्रों में बौद्धिक एवं नैतिक गुणों का विकास हो सकें। साथ ही वातावरण का प्रभाव बालक के शारीरिक विकास पर भी पड़ता है। विद्यालय एक ऐसा स्थान है जो चहारदीवारी के बाहर बृहद समाज का प्रतिबिंब है। इस प्रकार विद्यालय का पूरा वातावरण शिक्षार्थी के भविष्य एवं उसके निर्माण कि एक भट्टी के रूप में तैयार की गई एक पद्धति है। जहां पर बालकों का सर्वांगीण विकास होता है। इसमें प्रयाः शिक्षा के अतिरिक्त विभिन्न कौशलों का भी विकास होता है। जिससे कि छात्रों में सामाजिक एवं आर्थिक चेतनाओं की वृद्धि हो सके। जिसमें वाद-विवाद, खेलकूद, जिमनास्टिक एवं अन्य प्रशिक्षण कौशलों को रखा जाता है।
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