सूफी काव्य में नारी की अवधारणा
Keywords:
सूफी , नारी , अवधारणा, काव्यAbstract
भारतीय संस्कृति का विकास मानव संस्कृति के साथ-साथ उत्पन्न और विकसित हुई है। सृष्टि की मेरूदण्ड नारी को भारतीय संस्कृति में सर्वश्रेष्ठ मापदण्ड माना गया है। प्रकृति ने नारी को कोमल जरूर बनाया है परन्तु उसने परम्पराओं से बाहर निकलकर मील का पत्थर साबित किया है। आज नारी ही परिवार की नींव है समाज की शक्ति है और राष्ट्र की समृद्धि का आधार है। पूर्व वैदिक युग में नारी मातृशक्ति के रूप में प्रतिष्ठित थी। नारी का ही परिवार पर अधिकार था वैदिक काल में महिलाये पुरूष के समान सभी क्षेत्रों में निपुण थी। पूरा समाज नारी जाति के प्रति सरोकार एवं सम्मान व्यक्त करता था।
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